इंदौर में ताजिए निकालने पर सियासत गर्म, BJP विधायक ने CM शिवराज को लिखा पत्र

Pooja Khodani
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) के इंदौर (Indore) के खजराना इलाको में प्रतिबंध और रविवार को टोटल लॉकडाउन (Total Lockdown) के बावजूद भी ताजिए निकालने को लेकर भाजपा विधायक मालिनी गौड़ (BJP MLA Malini Gaur) ने सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) को पत्र लिखा है। गौड ने सीएम से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

गौड ने लिखा है कि रविवार की घटना को संयोग नहीं, बल्कि भय फैलाने की साजिश थी। इंदौर में इस प्रकार की घटना होने पूरे शहर के लिए खतरनाक है। इससे यह बात पता चलती है कि यहां का इंटेलीजेंस पूरी तरह से फेल है। इस प्रकार की घटना के लिए पुलिस-प्रशासन के साथ ही अन्य जिम्मेदार लोग भी दोषी हैं। पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच होने के साथ ही दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

बता दे कि मध्यप्रदेश के मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर (Indore) में रविवार को सरकार की सख्ती के बावजूद ताजिए निकाले गए और सोशल डिस्टेंसिंग (Social distancing) की सरेआम धज्जियां उड़ाई गई। यहां खजराना के बड़ला इलाके में बड़ी संख्या में लोगों ने ताजिए निकाले, जब पुलिस को यह सूचना मिली तो अधिकारी मौके पर पहुंचे और सभी को समझाकर ताजिए वापस रखवा दिए।हालांकि इस घटना के बाद अफसरों ने खजराना टीआई (TI) को लाइन अटैच कर दिया है, वही एसडीएम को नोटिस दिया गया है। इस मामले में पूर्व पार्षद उस्मान पटेल सहित 13 लोगों को धारा-188 के तहत प्रकरण दर्ज किया है।प्रशासन ने पूर्व में ही त्योहारों के दौरान जुलसू, रैली, झांकी, ताजिये निकालने पर रोक लगा रखी है। इसे लेकर सुबह खजराना थाना परिसर में बैठक भी हुई थी और पुलिस अफसरों ने जुलूस नहीं निकलने की बात कही थी, बावजूद इसके ताजिए निकाले गए।खजराना के ताजिये के वीडियो भी अब सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे , जिसके बाद प्रशासन पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है।हैरानी की बात तो ये है कि इंदौर का खजराना भी कोरोना का हॉटस्पाट रह चुका है। अप्रैल में जब कोरोना शहर में फैलना शुरू हुआ था, तब सैकड़ों मरीज खजराना क्षेत्र से भी निकले थे। अभी भी यहां संक्रमण लगातार फैल रहा है और नए मरीज सामने आ रहे हैं।वही कोरोना संक्रमितों की संख्या भी 12 हजार के पार हो गई है।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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