इंदौर।आकाश धोलपुरे।
मध्यप्रदेश (madhypradesh) के मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर (indore) में आज उस वक्त स्वास्थ्य विभाग (health Department) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ खड़े हुए जब कंटेन्मेंट क्षेत्र में ड्यूटी पर तैनात रहने वाले 2 पुलिस जवान (policeman)और पुलिस गाड़ी चलाने वाले ड्रायवर(driver) की कोरोना जांच रिपोर्ट सामने आई।
दरअसल, कोरोना रिपोर्ट(corona report) में थाने के एक एसआई (si)और एक जवान सहित ड्रायवर को कोरोना संक्रमित पाया गया है जिसके बाद थाने में मौजूद सभी पुलिस जवानों और समूचे थाने(police station) को सेनेटाइज (Sanitize)किया गया। अब सवाल ये उठ रहे है कि स्वास्थ्य विभाग ने जब 12 अप्रैल को ही पुलिस जवानों की जांच के लिये सैम्पल लिये थे तो रिपोर्ट आने में 16 दिन क्यो लगा दिए वही अपने महकमे की सुरक्षा का दावा करने वाली इंदौर पुलिस ने क्यो नही कोरोना जांच रिपोर्ट के लिए कोई एक्शन लिया। दावा पुलिस द्वारा ये भी किया जा रहा है कि शहर में लॉक डाउन का कड़ाई से पालन करने के लिये सैंकड़ो सीसीटीवी कैमरों से निगाह रखी जा रही है लेकिन महकमा अपने ही कोरोना वारियर्स पर नजर नही रख पाया।
जानकारी के मुताबिक शहर के छत्रीपुरा थाना क्षेत्र के जवान टाटपट्टी बाखल जैसे कोरोना की रडार वाले क्षेत्र में ड्यूटी दे रहे थे और 12 अप्रैल को टाटपट्टी बाखल में लगाये जांच कैम्प में कोरोना जांच के लिए सैम्पल लिए गए थे। इसके बाद 15 दिन बीत जाने पर जांच रिपोर्ट आई तो महकमे में हड़कंप मच गया क्योंकि 3 लोगो की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बाद एसआई, पुलिस जवान और ड्रायवर को स्वास्थ्य विभाग इलाज के लिये अस्पताल ले गया है। वही फील्ड पर ड्यूटी दे रहे अन्य जवानों को आशंका है कि उनकी भी मुश्किले बढ़ सकती है क्योंकि वो सभी संक्रमित जवानों के संपर्क में रहने के साथ ही कंटेन्मेंट झोन में ड्यूटी दे रहे है। कोरोना पॉजिटिव पाये गए आरक्षक की माने तो उसका सैम्पल 12 अप्रैल को लिया गया और जांच रिपोर्ट आने के बाद आज उसे पता चला है कि वो कोरोना पॉजिटिव है।
लिहाजा अन्य पुलिस जवानों ने साफ कह दिया कि अब हम अपने घर नहीं जाएंगे इसके लिए विभाग हमारे लिए होटलों में व्यवस्था करें। क्योंकि हम जहां ड्यूटी दे रहे हैं वाह क्षेत्र कोरोना से ग्रस्त है इसलिए विभाग हमारी भी सुरक्षा का इंतजाम करे। फिलहाल, इस मामले के सामने आने के बाद पुलिस जवानों की सुरक्षा पर किये जा रहे दावो की पोल खुल गई है और आगे ये देखना होगा कि पुलिस के आला अधिकारी क्या कदम उठाते है। हालांकि थाने पर हंगामा होने के बाद समझाईश के बाद 52 लोगो की स्क्रीनिंग भी की गई है लेकिन सवाल ये ही उठ रहे है आखिर में एएसआई, आरक्षक और अधिगृहित की गाड़ी का ड्राइवर बीते 16 दिनों से किन किन लोगों के सम्पर्क में आये थे।