इंदौर : गजब इंडिया की अजब कहानी – मैं जिंदा हूं सरकार।

Amit Sengar
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। किसी ने सही कहा है जो पूरी दुनिया मे असंभव है वो केवल अपने इंडिया में संभव है। दरअसल, हम यहां कटाक्ष वाली बात नही कर रहे है बल्कि ये हकीकत है और वो भी जीती जागती जिसे हवाओ में ऑक्सीजन मिल रही है लेकिन कागज के पन्नो पर वो बैचेन होकर दुनिया को अलविदा कह चुकी है।

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दरअसल, देश के दिल याने मध्यप्रदेश में एक बुजुर्ग की आवाज़, आगाज और अंदाज सबकुछ जिंदा है लेकिन कागज के फूलों पर वो हमेशा के लिए ढेर हो चुका है। जो तेजी से बढ़ते शहर के ग्रामीण अंचल की हकीकत को उजागर कर रहा है। हालांकि, ऐसा कई बार हो चुका है कि जो जिंदा है वो कागजी पन्नो पर मृत घोषित किये जा चुके है लेकिन जो ताजा मामला सामने आया है वो अब प्रशासन और सरकार के लिए चांद पर पहुंचने जैसा है।

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फिलहाल, खबर की बात करे तो खबर ये है कि संपत्ति के लालच में एक बुजुर्ग को जिंदा रहते हुए कागजो पर जमीन हड़प ली गई है जिसका जीता जागता सबूत खुद वो बुजुर्ग है जिसने मीडिया के माध्यम से अपनी पीड़ा को जाहिर किया है। मंगलवार को जनसुनवाई में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने प्रशासन को भी चौंका दिया है क्योंकि कागजो पर संपत्ति के लालच में किसी व्यक्ति को मृत घोषित कर देना और उस व्यक्ति का खुद को ज़िंदा साबित करने की कवायद में परेशान होने की कहानी आपने कई बार फिल्मो में देखी और सुनो होगी लेकिन इंदौर में आज कहानी सच बनकर सामने आई है। बता दे कि इंदौर (Indore) में 80 वर्षीय बुजुर्ग खुद को जिंदा साबित करने के लिए दर – दर भटक रहा है।

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दरअसल, 80 साल के धुलेसिंह पिता अमर सिंह मंगलवार को इंदौर कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचे जहां पर उन्होंने वो हकीकत बयां की जिसके बाद प्रशासन तुरंत जांच शुरू की है। बताया जा रहा है कि जलारिया पंचायत के रहने वाले धुलेसिंह ने शिकायत अपने रिश्तेदारों के खिलाफ शिकायत की और कहा कि उनको कागजों पर उनके रिश्तेदारो द्वारा ही मृत साबित कर दिया गया है और उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया गया है। ऐसे में अब दुलेसिंह खुद को ज़िंदा साबित करने की लड़ाई लड़ रहे है हालांकि दुलेसिंह के मामले में अजब बात ये है कि उनके पास खुद को जिंदा साबित करने के लिए शरीर और आत्मा के अलावा फिलहाल कुछ नही है और जिंदा रहने के लिए कोई कागजी सबूत नही है।

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जिंदा दुलेसिंह के मुताबिक उनके पूर्वज के द्वारा उनके और उनकी मौसी के नाम पर एक जमीन नाम की गई थी और कुछ समय पहले उनकी मौसी की मृत्यु के बाद उनके रिश्तेदारों ने उन्हें भी कागजों पर मृत घोषित कर दिया और उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में खुद को जिंदा साबित करने और अपनी संपत्ति को वापस लेने के लिए दुलेसिंह लंबे समय से प्रयास कर रहे है। लिहाजा, मंगलवार को वो अपनी जिंदा शख्सियत को लेकर कलेक्टर की जनसुनवाई में अपनी शिकायत लेकर पहुंचे हैं। जहां उन्होंने मांग कर न्याय की गुहार लगाई।

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इधर इस पूरे मामले में हैरान प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर ने कहा कि बुजुर्ग शिकायत लेकर पहुंचे हैं और उम्र ज्यादा होने के कारण पूरा मामला स्पष्ट रूप से समझाने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने बताया कि बुजुर्ग को मृत साबित कर उनकी संपत्ति को हड़पने के प्रयास के मामले में प्रशासन जांच करेगा लेकिन बुजुर्ग खुद दुलेसिंह है इस बात का कोई भी प्रमाण मौजूद उनके पास नहीं है। जिसके चलते संबंधित क्षेत्र के एसडीएम को पूरा प्रकरण सौंपा गया है और जल्द ही पूरे मामले में निराकरण किया जाएगा।

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फिलहाल, इस पूरे मामले में जांच शुरू हो चुकी है और गजब इंडिया की अजब कहानी का अंत क्या होगा ये देखना दिलचस्प होगा क्योंकि इस कहानी पर अब उन बॉलीवुड लेखकों की भी होगी जो रोचक कहानी की तलाश में दिन रात एक कर देते है फिलहाल, हम तो ये ही चाहेंगे कि बुजुर्ग की पीड़ा का हल निकल जाये ताकि चैन से लोग जी सके क्योंकि जब कागजो पर मुर्दा व्यक्ति जिंदा होकर बात करेगा तो सवाल व्यवस्थाओ पर उठना लाजिमी है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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