बीजेपी ने की कंगना से ये मांग, तो कांग्रेस ने भी लिख डाला कंगना को खुला पत्र, जाने क्या है पूरा माजरा

Gaurav Sharma
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इंदौर,आकाश धोलपुरे। मध्यप्रदेश की सियासत में अब फिल्म अभिनेत्री और निर्माता-निर्देशक कंगना रनौत चर्चा में है। एक तरफ जहां बीजेपी ने कंगना से कुछ मांग की है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने भी एक कदम आगे बढ़ाकर कंगना को खुला पत्र लिखा है।

दरअसल, प्रदेश की आर्थिक राजधानी और मिनी मुंबई के नाम से मशहूर इंदौर के सियासी गलियारो से अब फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रनौत से देश के दिल को लेकर फ़िल्म बनाने की मांग उठ रही है। एक दिन पहले इंदौर से बीजेपी सांसद शंकर लालवानी ने इंदौर में फ़िल्म सिटी बनाने की बात की थी और साथ ही कहा था कि कंगना रनौत को उन्होंने प्रपोजल भेजकर मांग की है  कि वो इंदौर की देवी अहिल्या बाई होलकर पर वो मूवी बनाये और स्वयं मां अहिल्या का किरदार निभाए। वहीं उन्होंने कंगना के ऑफिस पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा की गई कार्रवाई को भी गलत बताया था।

 

जहां बीजेपी सांसद ने देवी अहिल्या पर मूवी बनाने की डिमांड रखी है, वही कांग्रेस ने एक कदम आगे बढ़ाकर कंगना रनौत को खुला पत्र लिखकर अपनी मांग रखी है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव विवेक खंडेलवाल ने पत्र के जरिये कहा है कि कंगना, भगवान राम पर मूवी बनाने जा रही है, जो एक अच्छी बात है। हालांकि कांग्रेस ने खुले पत्र के जरिये ये मांग रखी है वो पूर्व में हुए व्यापम घोटाले को लेकर भी मूवी बनाये जिसमे प्रदेश में 42 संदिग्ध मौतों जैसे तथ्य शामिल हो।

बीजेपी ने की कंगना से ये मांग, तो कांग्रेस ने भी लिख डाला कंगना को खुला पत्र, जाने क्या है पूरा माजरा

कंगना अपनी हाजिर जबावी के लिये जानी जाती है, ऐसे में अब सवाल ये उठ रहा है कि प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और एक्ट्रेस कंगना रनौत बीजेपी सांसद की डिमांड पहले पूरी करे या फिर कांग्रेस द्वारा लिखे गए खुले पत्र की। बता दे कि हालिया समय में कंगना का अंदाज, उनके राजनीतिक प्रदार्पण के आगाज की ओर इशारा कर रहा है और ये ही वजह है कि देश के दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल कंगना की खन – खन से शोर मचाना चाह रहे है। बाकि सब जानते है कि कंगना का झुकाव किस राजनीतिक दल की तरफ बढ़ रहा है। लेकिन खुद को राजनीति से दूर रखने की बात कहने वाली कंगना भविष्य में बड़ा फैसला भी ले सकती है, जिसके संकेत दिखने को मिस रहे है, ऐसे में पॉलिटिकल डिमांड उठना स्वाभाविक सा माना जा सकता है फिर वो प्रपोजल हो या खुला पत्र।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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