Indore News: महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ ने 70 नेत्रहीन छात्राओं को ऑडियो ऐप के जरिए दिखाई गई फिल्म श्रीकांत

अंकित मालवीय ने बताया कि श्रीकांत फिल्म को लेकर आज छात्राओं को अच्छा अनुभव रहा है और श्रीकांत मूवी बनी ही ऐसे बच्चों के लिए है जो इस फिल्म से प्रेरणा लेकर अपने सपने को पूरा कर सके और अपनी लाइफ में कुछ अच्छा कर सके।

Shashank Baranwal
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Indore News: इंदौर महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ की तरफ से 70 नेत्रहीन छात्राओं को ऑडियो ऐप के जरिए राजकुमार राव अभिनीत फिल्म श्रीकांत दिखाई गई, जिसे देख कर दृष्टिहीन छात्राओं ने फिल्म की प्रशंसा की और फिल्म के सब्जेक्ट को सही बताया।

दृष्टिबाधित बच्चों का दिखा स्ट्रगल

दरअसल, दृष्टिबाधित बच्चे ऑडियो के माध्यम से फिल्म को अपने जहन में उतारते हैं और उसकी एक इमेज बनाते हैं, जिस तरह से फिल्म में अभिनेता राजकुमार राव ने श्रीकांत की भूमिका निभाई है और अपनी लाइफ में इतना स्ट्रगल किया, इसी तरह स्ट्रगल और फाइट हमारे देश के कई दृष्टिबाधित बच्चे कर रहे हैं। फ़िल्म का उद्देश्य केवल इतना है कि हमारी बात उन बच्चों तक पहुंचे कि कोई भी सपना छोटा बड़ा नहीं होता है। वहीं, इस फिल्म के जरिए वह उसे देखकर पूरा करें। आपको बता दें दृष्टिबाधित बच्चे अपने-अपने स्तर पर काम कर रहा है, लेकिन साइंस जो सब्जेक्ट नहीं लिया जा रहा है। मूलत: वही असलियत फिल्मों में दिखाई गई है और यह विषय दृष्टिबाधितों के लिए भी अनिवार्य होना चाहिए।

छात्राओं के चेहरे पर दिखी खुशी

इस मामले में सरकार को भी ध्यान देना चाहिए। संघ ने कहा कि ब्रेन ब्रेल लिपि में कई बुक्स उपलब्ध होती है, लेकिन ऐसे बच्चों के लिए ऑडियो कंपलसरी होता है और दृष्टि बाधित बच्ची-बच्चे ऑडियो के माध्यम से ही अपनी पढ़ाई करते हैं। इससे समय की भी बचत होती है और बच्चे सुनकर अपने विषय को अच्छे से समझ सकते हैं। ऑडियो बुक फायदेमंद है। ऐसे में रविवार को महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ की 70 दृष्टिबाधित बालिकाओ ने श्रीकांत मूवी को एंजॉय किया है और अपने जैसे साथी के रियल स्टोरी देखकर सभी दृष्टिबाधित बालिकाओं के चेहरे पर खुशी साफ नजर आ रही थी।

दृष्टिबाधित लोगों के प्रति बदलेगा नजरिया

फिल्म बहुत अच्छी लगी और जिसमें फ्रेंड और टीचर ने श्रीकांत को काफी सपोर्ट किया। दृष्टिहीन बच्चों को यदि हर कोई सपोर्ट करें तो अपने जीवन में आगे बढ़ सकता है। ऑडियो में मूवी देखी तो उसमें अच्छे से समझ में आई सभी कलाकारों के डायलॉग और बातें विजुलाइज किया। फिल्म में देखा गया कि उन्हें साइंस सब्जेक्ट लेने नहीं दिया जा रहा था, लेकिन उन्होंने प्रयास किया और उन्हें मिला भी। फिल्म से यह संदेश मिला है कि दृष्टिहीन लोगों के प्रति लोगों का जो नजरिया है, वह अब बदलेगा ताकि उन्हें सपोर्ट मिले तो वह आगे बढ़ सकते हैं। फिल्म देखकर सभी को बहुत मजा आया।

लाइफ में कुछ अच्छा कर सकें मिली प्रेरणा

अंकित मालवीय ने बताया कि श्रीकांत फिल्म को लेकर आज छात्राओं को अच्छा अनुभव रहा है और श्रीकांत मूवी बनी ही ऐसे बच्चों के लिए है जो इस फिल्म से प्रेरणा लेकर अपने सपने को पूरा कर सके और अपनी लाइफ में कुछ अच्छा कर सके। आज 70 महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ की बालिकाएं को ऑडियो ऐप फिल्म दिखाया गया। उन्होंने बताया कि ऑडीयो ऐप का एक ऐप बनाया है, जिसके माध्यम से दृष्टि बाधित छात्र हिंदी और इंग्लिश मीडियम दोनों पढ़ाई में काफी सहायक होगी। श्रीकांत मूवी संदेश यह दे रही है कि नेत्रहीन होना कोई कमजोरी नहीं है अगर आप ठान ले तो वह ताकत भी है कि वह कुछ भी कर सकते हैं।

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इंदौर से शकील अंसारी की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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