इंदौर, आकाश धोलपुरे। शराब और उसका नशा किस कदर जिंदगियों को अंधेरे के दल दल में फंसा देता है इसका ताजा उदाहरण इंदौर शहर में देखने को मिला। यहां एक पिता के सिर पर नशा इस कदर हावी हुआ कि उसने अपने ही बेटे को मौत के घाट उतार दिया। हालांकि पिता द्वारा दर्दनाक तरीके से अंजाम दी गई वारदात के पीछे असल वजह क्या है इसकी जानकारी जुटाने का प्रयास पुलिस कर रही है।
हत्या की ये सनसनीखेज वारदात इंदौर के लसूड़िया थाना क्षेत्र के राहुल गांधी नगर की है। जहां शराब के नशे में धुत पिता – पुत्र का विवाद इतना बढ़ गया कि पिता ने आखिरकार अपने बेटे की चाकू घोपकर हत्या कर दी। बेटे की घटना स्थल पर ही बेटे की मौत हो गई।
पेशे से ड्रायवर पिता जगदीश सोलंकी की दो पत्नियां है और मृतक बेटे का नाम जितेंद्र सोलंकी है जो उसकी पहली पत्नी का बेटा है। घटना के बाद आरोपी पिता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है लेकिन मय के नशे में चूर पिता से रात में पूछताछ नहीं की जा सकी।
जानकारी के मुताबिक पिता जगदीश सोलंकी और बेटा जितेंद्र सोमवार दोपहर को मक्सी के झोंकर गांव में प्लॉट पर कब्जा छुड़ाने को लेकर साथ में गए थे और वहां से लौटने पर उन्होंने घर पहुंचकर जमकर शराब पी और जब शराब ने अपना रंग दिखाना शुरू किया तो किसी बात को लेकर दोनों का विवाद बढ़ गया। इसी दौरान पिता ने मेकेनिक का काम करने वाले अपने बेटे की जान ले ली। मृतक की बहन मीना देवड़ा ने बताया विवाद और हत्या की वजह क्या है इसकी जानकारी उसे नहीं है और वो अपनी माँ के साथ देवास गई थी रात में उसे इस बात का पता चला।
इधर, थाना लसूड़िया के प्रभारी इंद्रमनि पटेल ने बताया कि राहुल गांधी नगर में बाप बेटे का शराब पीकर झगड़ा हुआ था। जिसमे पिता ने 35 साल के बेटे को चाकू मार दिया और उसकी मौत हो गई। सोमवार रात 9 बजे हुई इस वारदात की जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर पुलिस पहुंच गई लेकिन इसके पहले ही बेटे ने दम तोड़ दिया जिसे तुरंत एम. वाय. अस्पताल भिजवाया जहां डॉक्टर ने जितेंद्र सोलंकी को मृत घोषित कर दिया।
फिलहाल, पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है वहीं आरोपी पिता से पुलिस पूछताछ में जुट गई है ताकि हत्या की वजह का पता लगाया जा सके।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....