Indore: इंदौर देश का सबसे साफ शहर है और यहां की सफाई व्यवस्था से सीख लेने के लिए देशभर के अलग-अलग राज्यों और शहरों के अधिकारियों का अमला क्लीनिंग मॉडल समझने के लिए शहर में पहुंचता हैं। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के नाम से मशहूर इंदौर को हमेशा से ही अपने नवाचारों के चलते पहचान गया है। यहां हर उस चीज को बढ़ावा दिया जाता है जो शहर की स्वच्छता को कायम रखने में मददगार साबित हो सकती है। इसी कड़ी में अब ग्रीन वेस्ट के जरिए नगर निगम ने कमाई का नया तरीका निकाला दिया है।
शहर भर का जो ग्रीन वेस्ट अब तक ट्रेंचिंग ग्राउंड में डंप किया जा रहा था अब उससे आय बढ़ाने का काम किया जाएगा। इंदौर के बिचोली हप्सी में मौजूद सिटी फॉरेस्ट में एक प्लांट लगाया जा रहा है जो पीपीपी मोड पर काम करेगा। इस प्लांट की क्षमता 100 टन प्रतिदिन है। इसके हिसाब से का एजेंसी निगम को प्रति किलो साढ़े 3 रुपए रॉयल्टी देने वाली है।
ग्रीन वेस्ट का होगा निपटान
शहर भर से जो ग्रीन वेस्ट निकलता था उसके निपटारे को लेकर अब तक कोई भी व्यवस्था नहीं की गई थी। कटाई छटाई के बाद पेड़ों के जो मोटे तने निकलते थे वह तो फर्नीचर के काम आ जाते थे लेकिन छोटा-मोटा ग्रीन वेस्ट ट्रेंचिंग ग्राउंड में पटका जाता था।
बारिश के समय में इंदौर में रोजाना 100 टन ग्रीन वेस्ट निकलता है और अन्य मौसम में यह आंकड़ा 50 टन होता है। इसके निपटने के लिए कुछ महीने पहले योजना तैयार कर ली गई थी लेकिन विधानसभा चुनाव होने के चलते इस पर काम शुरू नहीं किया जा सका। लेकिन अब नगर निगम ने इस योजना पर काम शुरू कर दिया है।
कैसे होगा ग्रीन वेस्ट का निपटान
ग्रीन वेस्ट के इस निपटान के लिए लगाए जा रहे प्लांट तक ग्रीन वेस्ट को पहुंचाने का काम नगर निगम द्वारा किया जाएगा। इसके बाद अगर फर्नीचर तैयार करने योग्य लकड़ी मिलती है तो उसे निगम की कार्यशाला में भेजा जाएगा और बाकी बचे हुए पत्ते और लकड़ियां एजेंसी को दे दी जाएगी। इसके एवज में निगम को प्रति किलो का भुगतान मिलेगा। प्लांट के शुरू हो जाने से ट्रेंचिंग ग्राउंड पर डंप नहीं पड़ा रहेगा और निगम की आय भी बढ़ जाएगी। इसी के साथ सड़कों पर जमा रहने वाला ग्रीन वेस्ट भी जल्दी से हटाया जा सकेगा।