इंदौर।
व्यापम PMT फर्जीवाड़े के आरोपी मनोज जाटव को CBI कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई है।आरोपी है कि मनोज ने 2009 में अपनी जगह किसी अन्य व्यक्ति को बिठा कर PMT एग्जाम पास कर डेंटल कॉलेज में एडमिशन लिया था। यह सजा विशेष न्यायाधीश JP सिंह की कोर्ट ने सुनाई है। सीबीआई की ओर से अधिवक्ता रंजन शर्मा ने पैरवी की।व्यापमं मामले में अब तक 4 लोगों को सजा हो चुकी है. हालांकि सरकार बदलते ही इंदौर की सीबीआई कोर्ट द्वारा यह पहली सजा सुनाई गई है।
दरअसल, व्यापम घोटाला सामने आने के बाद इंदौर के डेंटल कालेज में 2006 से 2011 में PMT परीक्षा पास करने वाले ऐसे छात्रों की सूची वेरीफाई करने को कहा गया था कि जिनके पीएमटी परीक्षा व कॉलेज में भरे गए फॉर्म व फोटो में अंतर है।इसमे 2009 में पीएमटी देने वाले मनोज जाटव का नाम भी सामने आया था। इस पर डेंटल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल सुभाष गर्ग की रिपोर्ट पर संयोगिता गंज पुलिस ने धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में केस रजिस्टर किया था।बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। कोर्ट में सीबीआई की ओर से 26 गवाहों के कथन कराए गए जिसमें कोर्ट ने यह सिद्ध पाया कि आरोपी मनोज की जगह किसी अन्य ने पीएमटी की परीक्षा दी थी। इस आधार विशेष जज जेपी सिंह की कोर्ट ने आरोपी मनोज को 5 वर्ष के सश्रम कारावास व 700 रूपी अर्थदण्ड की सजा सुनाई।