सरकार की आत्मनिर्भर निधि योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, 52 हज़ार फेक आवेदन रद्द

Gaurav Sharma
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जबलपुर,संदीप कुमार। कोरोना संकटकाल में गरीबों की रोजी-रोटी पटरी पर लाने के लिए शाशन द्वारा शुरू की गई स्ट्रीट वेंडर योजना भी भ्रष्टाचार से नहीं बच सकी। स्ट्रीट वेंडर्स को 10-10 हज़ार रुपयों का लोन देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई योजना में फर्जी हितग्राहियों की बाढ़ सी आ गई। जबलपुर में इस योजना का लाभ पाने के लिए 52 हज़ार लोग फर्जी पथ विक्रता बन गए ।

शहरी क्षेत्र में लागू की गई प्रधानमंत्री पथ विक्रेता आत्मनिर्भर निधि योजना कहने को स्ट्रीट वेंडर्स के उत्थान की दिशा में लागू की गई थी, लेकिन पात्र हितग्राही इस योजना का लाभ ले पाते उससे पहले अपात्रो ने अपना पंजीयन करवा लिया। जबलपुर में इस योजना के तहत कुल 87 हज़ार आवेदन किए गए थे।

जबलपुर नगर निगम आयुक्त अनूप सिंह के मुताबिक 87 हज़ार आवेदनों में से 52 हज़ार आवेदनो को रद्द कर दिया गया है । ये सभी आवेदन ऐसे लोगों के थे जिन्होंने स्ट्रीट वेंडर ना होने पर भी लोन के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया था। नगर निगम ने जब अपने ज़ोनल कार्यालयों पर जमा आवेदनों की जांच करवाई तो ये सच्चाई सामने आ गई। बता दें कि आज ही पीएम नरेंद्र मोदी ने इस योजना के हितग्राहियों से संवाद किया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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