जबलपुर|
मझगवा सरोली आमा डोंगरी स्कूल में मध्यान भोजन करने के बाद बच्चों को अचानक उल्टी होने लगी जिसके बाद बच्चे घर की तरफ भागे रास्ते में ग्रामीणों ने बच्चों को रोककर पूछा कि क्या हुआ तो बच्चों ने बताया कि खाने में मिट्टी तेल मिला हुआ था जिसकी वजह से उन्हें उल्टी हो रही है जिसके बाद युवक ने ग्राम के सरपंच को फोन लगाया और बच्चों को अभिभावकों के साथ अस्पताल लेकर पहुंचे जहां उनका इलाज कराया गया।
सिहोरा मझगवा संकुल केंद्र के अंतर्गत आने वाले आमा डोंगरी प्राइमरी स्कूल में मध्यान भोजन करने से 7 बच्चे बीमार हो गए। कक्षा पांचवी तक के इस स्कूल में लगभग 50 बच्चे हैं मध्यान भोजन जैसे ही शुरू हुआ तो कुछ बच्चों ने खाना शुरू किया खाना शुरू करते ही बच्चों ने कहा कि सब्जी से केरोसिन की बदबू आ रही है। जिसके बाद बाकी बच्चों ने सब्जी नहीं खाई पर जिन बच्चों ने सब्जी खाई थी उन्हें अचानक पेट में दर्द होने लगा दर्द की वजह से बच्चे घर जाने लगे जिन्हें रास्ते में उल्टी होने लगी। रास्ते में बच्चों को गांव का ही एक युवक मिला जिससे बच्चों ने मदद मांगी जिसके बाद युवक ने सरपंच विनोद पटेल को फोन लगाया आनन-फानन में सरपंच कुछ लोगों के साथ स्कूल पहुंचे और बच्चों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जहां उनका इलाज कराया गया।
खाना बनाने वालों को पता था कि सब्जी में केरोसीन मिला हुआ है।
मध्यान भोजन के लिए सब्जी प्रतिदिन अध्यक्ष के घर से आती है परंतु केरोसिन खत्म होने की वजह से अध्यक्ष ने केरोसिन की केन सब्जी के थैली में रख दी जिससे सब्जी में केरोसिन गिर गया सब्जी बन कर तैयार होने के बाद उसमें से केरोसिन की बदबू आ रही थी जिसके बाद रसोइए ने कहा की इस वजह से बच्चे को सब्जी नहीं खानी वह ना खाए फिर भी बच्चों को सब्जी परोस दी। स्कूल से लगे हुए आगनबाडी में भी बच्चों को बिना सब्जी के ही खाना दिया गया।इस पूरे मामले का ग्रामीणों ने भी विरोध कर कहा कि जब खाना बनाने वाले को जानकारी थी कि सब्जी में केरोसिन मिला हुआ है तो उन्होंने बच्चों को खाना क्यों परोसा।फिलहाल जैसे ही जिला शिक्षा अधिकारी को इसकी जानकारी लगी उन्होंने तुरंत ही जांच के आदेश जारी कर दिए है।इधर
अस्पताल में डॉक्टर के नदारद रहने से मध्यान भोजन के संचालक ने ही लगाया बच्चों को इंजेक्शन।
जब ग्रामीण और शिक्षक बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉक्टर नहीं थे जिसके बाद ग्रामीणों ने भाजपा मंडल अध्यक्ष पवन गुप्ता को फोन लगाया जिसके बाद फार्मासिस्ट नीरज मिश्रा ने ही बच्चों का इलाज किया एवं ओआरएस का घोल पिलाया।अस्पताल में डॉक्टर ना होने पर मध्यान भोजन के संचालक शीतल काछी ने ही बच्चों को इंजेक्शन लगाया।