प्रशासन की माफिया विरोधी कार्रवाई, रेस्टोरेंट किया जमीदोज

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार।कोविड-19 के बीच जिला प्रशासन ने एक बार फिर माफिया विरोधी कार्रवाई शुरू कर दी है।जिला प्रशासन ने नगर निगम और पुलिस के साथ मिलकर एक बड़े रेस्टोरेंट को जमीदोज कर दिया है। इधर माफिया विरोधी प्रशासन की कार्रवाई पर कई सवाल भी उठने लगे है कि आखिर जब बीच शहर में माफिया अवैध निर्माण कर रहा था तो उस समय क्या प्रशासन अपनी आंखें बंद किए हुए था।

माफिया पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश सरकार के निर्देशों पर जबलपुर जिला प्रशासन और नगर निगम की संयुक्त टीम द्वारा आज नोदरा पुल के पास स्थित दरबार रेस्टोरेंट के सामने बड़ी संख्या में पुलिस बल और प्रशासन के वाहनों को खड़ा कर सड़क जाम कर दी गई।

  1. कई बार दिया का चूका नोटिस

निगम के अधिकारियों के साथ जिला प्रशासन के बल मौके पर पहुंचा और यहां अवैध रूप से चल रहे एक नामी रेस्टोरेंट को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई।शासन की शक्ति को देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग जमा हो गए जिन्हें मौके से हटाने के लिए पुलिस बल को घंटों मशक्कत भी करनी पड़ी। जानकारी के मुतबिक निगम प्रशासन द्वारा रेस्टोरेंट को कई बार नोटिस दिया गया था। इसके बाद भी उसने संबंधित दस्तावेज कार्यालय में जमा नहीं किए जिसे देखते हुए उक्त कार्रवाई की गई।

ये रहे मौजूद

संभाग कमिश्नर महेशचंद्र चौधरी के निर्देश पर अपर कलेक्टर संदीप जीआर,निगम कमिश्नर आशीष सिंह,अपर आयुक्त रोहित कौशल,asp अमित कुमार सहित जिला प्रशासन,नगर निगम और पुलिस का भारी अमला मौजूद रहा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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