बस संचालकों के सामने दोहरी परेशानी : बसें मांग रही मरम्मत, वहीं दसरी तरफ नहीं मिल रहे यात्री

Gaurav Sharma
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जबलपुर,संदीप कुमार। कोरोना काल के बाद जब साढ़े पांच माह सड़को पर बसों को दौड़ाने के लिए बस ऑपरेटर्स और सरकार के बीच बात बनी तो फिर अब बसों ने जवाब दे दिया।करीब साढ़े पांच माह से बस स्टैण्ड में खड़ी बसे अब मरम्मत मांग रही है,यही कारण है कि बसे न चलने से यात्री अभी भी परेशान हो रहे है।

शुरुआती दौर में 12 रुट पर चली बसे

जानकारी के मुताबिक शुरुआती दौर में करीब 12 रूटों पर बसें शुरू की गई है, इनमें डिंडोरी, कटनी,दमोह छतरपुर, सागर, अमरकंटक,मंडला और छिंदवाड़ा के लिए बसे हैं। वहीं स्थानीय ग्रामीणों के लिए शहपुरा, चरगवां,कुंडम,बघराजी, सिहोरा रोड पर भी बसों का संचालन शुरू कर दिया गया है। हालांकि अभी इन तमाम रूटों पर फिलहाल 11 बस ही संचालित की जा रही है।

बमुश्किल मिल रहे हैं बसों के लिए यात्री

करीब साढे 5 माह बाद शुरू हुआ बसों के संचालन ने शुरुआती दौर में बस ऑपरेटरों की हालात को जस का तस बना कर रखा हुआ है। पहले तो संचालन के लिए बस ऑपरेटर राज्य सरकार से लड़ाई लड़ रहे थे और जब राज्य सरकार से समझौता हुआ तो अब उन्हें अब यात्री नहीं मिल रहे हैं। आलम यह है कि एक बस में महज 10 से 12 यात्री ही बैठ रहे हैं। कुछ बसों में तो ना के बराबर ही यात्री जा रहे हैं। कम यात्रियों की वजह से बस संचालकों का डीजल खर्च भी नहीं निकल पा रहा है।

जबलपुर से होती है करीब 700 बसें संचालित ज्यादातर बसें मांग रही है मरम्मत

जबलपुर के आईएसबीटी बस स्टैंड से मध्यप्रदेश और अन्य सीमावर्ती राज्यों के लिए करीब 700 बसें संचालित होती हैं। करीब साढे 5 माह से बस स्टैंड में खड़ी इन यह बसें अब मरम्मत मांग रही है यही कारण है कि बहुत सी रूटों में बसें नहीं संचालित हो रही है जिससे चलते यात्रियों परेशान हो रहे हैं।

छिंदवाड़ा जाना है तो टैक्सी किराए पर कर लो बस नहीं जा पाएगी

यात्री राजेश बताते हैं कि उन्हें छिंदवाड़ा जाना था लिहाजा जब बस स्टैंड आए और छिंदवाड़ा जाने के लिए उन्होंने पूछताछ में संपर्क किया, तो पहले तो पूछताछ केंद्र उन्हें खाली मिला,मुश्किल से जब कुछ कंप्यूटर ऑपरेटर उनको मिले तो उनका भी साफ तौर पर कहना था कि अभी फिलहाल बसें खराब पड़ी हैं। इसलिए आप टैक्सी किराए पर करके चले जाएं। इस तरह की परेशानी सिर्फ एक यतरी ही नहीं बल्कि बहुत से लोगों को अभी भी झेलना पड़ रहा है कहा जा सकता है कि अभी भी सुगमता से बसों का संचालन जबलपुर में नहीं हो रहा है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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