जबलपुर, संदीप कुमार
लॉकडाउन के दौरान पूरे प्रदेश में बसों के पहिए थम गए थे, पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पाबंदी रही। ऐसे में बस संचालकों ने राज्य सरकार से टैक्स माफी की अपील की थी, लेकिन सरकार ने उन्हें टैक्स वसूली के नोटिस थमा दिए। लिहाजा बस संचालकों ने प्रदेश सरकार द्वारा टैक्स वसूली के नोटिस दिए जाने पर हाईकोर्ट की शरण ली थी। इस मामले पर गुरूवार को सुनवाई हुई, ये इस मामले में दूसरी सुनवाई थी। प्रदेश सरकार की तरफ से इस मामले में कोई जवाब पेश नहीं किया गया है। सरकार ने इस मसले पर कोर्ट से 15 दिनों का समय लिया है।
बस संचालकों का तर्क है कि लॉकडाउन के दौरान मार्च के बाद से लगातार 3 महीने तक बसों के पहिए थमे रहे, लिहाजा इस समय का टैक्स माफ किया जाए। बस मालिकों ने पहले अपने स्तर पर सरकार से टैक्स माफी की मांग की थी। अधिकारियों को चिट्ठी भी लिखी, लेकिन जब अधिकारियों ने बस मालिकों की बात नहीं मानी तो बस संचालक हाईकोर्ट पहुंच गए। याचिकाकर्ता के वकील आशीष त्रिवेदी का तर्क है कि देश के कई राज्यों ने बस ऑपरेटर्स को टैक्स में छूट दी है। केंद्र सरकार ने भी राज्यों को बस ऑपरेटर्स को टैक्स में छूट देने की बात कही है, लेकिन इसके बाद भी मध्यप्रदेश की राज्य सरकार बस ऑपरेटर्स को ये सुविधा नहीं दे रही है।