जंगल में मिला फंदे से लटका शव, हत्या या आत्महत्या के बीच अटकी पुलिस,जांच शुरु

Gaurav Sharma
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जबलपुर,संदीप कुमार। जिले के अंधमूक बायपास के पास लगे जंगल में आज दोपहर एक युवक का शव पेड़ पर लटका मिलने से सनसनी फैल गई।आनन फानन में लोगों ने गढ़ा थाना पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद मौके पर आई पुलिस ने शव का पंचनामा कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस की जांच हत्या या आत्महत्या के बीच भी अटकी हुई है। जानकारी के मुताबिक अंधमूक के पास लगे जंगल में रेल्वे ट्रेक्मन जब पटरी में काम कर रहा था तभी पेड़ में फन्दे पर झूले युवक का शव उसने देखा। शव चार से पांच दिन पुराना बताया जा रहा है।

आत्महत्या य हत्या…

घने जंगल के बीच पेड़ पर लटका शव किसका है अभी तक ये पुलिस की जानकरी में नही आया है। बताया जा रहा है कि युवक जिस पेड़ पर लटका हुआ था, उसके पैर वहां जमीन पर थे। यही कारण है कि पुलिस की जांच हत्या और आत्महत्या के बीच अटकी हुई है। दर्शल रेलवे में पदस्थ ट्रैकमैन जब रोज की तरह ड्यूटी से संबंधित चाबी व अन्य सामान लेकर गढ़ा स्थित अंधमुख बायपास स्थित आफिस जा रहा था, तभी पटरी किनारे अत्याधिक दुर्गंध आने के कारण जब पटरी से उतर कर साइड में लगी झाड़ियों को हटाकर देखा तो बबुल के पेड़ में एक युवक द्वारा फांसी पर लटका पाया गया। जिसके बाद तत्काल स्टेशनमास्टर और पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने फंदे पर लटके युवक को देखा, जहां पुलिस के साथ आई एफएसएल की टीम ने शव के सैंपल ले लिए साथ ही पुलिस मृतक की पतासाजी में भी जुट गई है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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