जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना संबंधी मामलों में ऑक्सीजन की कमी व रेमडेसिवीर इंजेक्शन को लेकर पूर्व में जारी आदेश का पालन न होने पर चिंता जाहिर की है। चीफ जस्टिस मो. रफीक व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने सरकार की ओर से पेश की गई एक्शन टेकन रिपोर्ट का अवलोकन करने व हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से उठायी गई आपत्तियों को गंभीरता से लेते हुए मामले में विस्तृत आदेश जारी किये हैं।
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राज्य सरकार को निर्देश
युगलपीठ ने आदेश में कहा कि बिना ऑक्सीजन जीवन के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती। राज्य का संवैधानिक दायित्व है कि जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराएं। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि आयुष्मान, सीजीएचएस व बीपीएल कैशलेस कार्डधारियों का उपचार करने से अस्पताल इनकार नहीं कर सकते। यदि ऐसा किया जाता है तो सरकार उचित कार्रवाई करे। युगलपीठ ने अंतरिम आवेदनों का निराकरण करते हुए उक्त निर्देश देते हुए मूल मामले की अगली सुनवाई 6 मई को निर्धारित की है।
हाईकोर्ट ने अवकाश के दिन की थी सुनवाई
उल्लेखनीय है कि अस्पताल में बिल राशि का भुगतान नहीं होने पर एक वृद्ध मरीज को बंधक बनाये जाने के मामले में संज्ञान याचिका के साथ अन्य कोरोना संबंधी मामलों की हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है, जिसमें विगत 19 अप्रैल को हाईकोर्ट ने अवकाश के दिन मामले की सुनवाई करते हुए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये थे।
याचिका में कहा- हाईकोर्ट के आदेश की हुई अवहेलना
मामले में इंदौर के वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर ने एक आवेदन दायर कर कहा था कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने कहा था, लेकिन इसके बावजूद भी आपूर्ति नहीं की जा रही है। आवेदन में अनुरोध किया गया था ऑक्सीजन व रेमडेसिवीर की आपूर्ति की मॉनिटरिंग हाईकोर्ट द्वारा की जाये। वहीं हाईकोर्ट एडवोकेट बार एसोसिएशन की ओर से भी एक आवेदन पेश कर कहा गया कि बोकारो से एक ऑक्सीजन टैंकर सागर भेजा गया था, लेकिन यूपी में उसे रास्तें में रोक लिया गया, जिसे बाद में रिलीज किया गया। जबकि सागर सहित अन्य जिलों में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौते हो रही है।