जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर एसटीएफ ने फर्जी डिग्री के माध्यम से निजी अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टरों को हिरासत में लिया है। ये डॉक्टर कोरोना संक्रमति मरीजों को जीवन रक्षक दवा के रूप में इस्तेमाल होने वाले रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए भी पकड़े गए थे। एसटीएफ ने डाक्टर नीरज साहू एवं नरेंद्र ठाकुर की आयुष संबंधी डिग्री की जांच की तो वो फर्जी पाई गई। एसटीएफ ने इस मामले में दमोह निवासी एक अन्य आरोपी को भी गिरफ्तार किया है जो कि फर्जी डिग्री बना कर बेचा करता था।
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आरोपी पाँच-पाँच हजार रु. में बेचा करता था आयुष की डिग्री
एसटीएफ ने बताया कि दमोह निवासी आरोपी 5-5 हजार रुपये में फर्जी डिग्री बनाकर बेचा करता था। एसटीएफ ने आरोपी के पास से आयुष विभाग की फर्जी डिग्री सहित लैपटॉप, प्रिंटर मशीन जब्त की है। जालसाज 5-5 हजार रुपए में आयुष की डिग्री बनाकर बेचता था, जिसके बाद फर्जी डिग्री लेकर डॉक्टर प्राइवेट अस्पताल में ड्यूटी डाक्टर के पद में पदस्थ होकर गंभीर मरीजों का इलाज किया करते थे।
गौरतलब है कि 20 अप्रैल को एसटीएफ जबलपुर ने 4 नग रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए सुधीर सोनी, राहुल विश्वकर्मा, राकेश मालवीय, डा. जितेंद्र ठाकुर एवं डा. नीरज साहू को कार सहित पकड़ा था। इसी तरह नरेंद्र ठाकुर और उसके साथियों को ओमती पुलिस ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन के साथ पकड़ा था। मामले की जांच करते हुए एसटीएफ ने पकड़े गए डाक्टर नीरज साहू से डिग्री के संबंध में पूछताछ की तो उसने बताया कि उसने एक निजी कॉलेज से बीएएमएस किया है। प्रैक्टिस के बाद ही अस्पताल में कार्यरत था।
एसटीएफ ने जाँच में डिग्री को पाया फर्जी
डिग्री की जांच के लिए जब एसटीएफ संबंधित कॉलेज पहुंची तो प्रबंधन ने बताया कि यह डिग्री उनके कॉलेज की नहीं है और न ही इस नाम के छात्र ने उनके कॉलेज में कभी एडमीशन लिया था। लिहाजा डॉ नीरज साहू के पास मिली डिग्री पूर्ण रूप से फर्जी पाई गई। एसटीएफ ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए डिग्री बनाकर देने वाले आरोपी को भी पकड़ा है।