करीब साढ़े 400 करोड़ रुपए खर्च कर जबलपुर डुमना एयरपोर्ट का विस्तारीकरण तो हो गया, पर फ्लाइट की आज भी कमी बनी हुई है। 2024 में नागरिक उपभोक्ता मंच ने याचिका दायर की थी, जिसके बाद अब लाॅ के एक छात्र ने भी हस्ताक्षेप याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए 10 दिन में केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय सहित विमान कंपनियों से जवाब तलब किया है।
लाॅ के छात्र पार्थ श्रीवास्तव की तरफ से जनहित याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि जबलपुर हवाई अड्डा अन्य शहरों से अच्छी तरह से नहीं जुड़ पा रहा है क्योंकि जबलपुर से केवल 9 उड़ानें ही संचालित हो रही हैं, जबकि भोपाल जहाँ जबलपुर की तुलना में हवाई अड्डे की छोटी पट्टी है, वहां प्रतिदिन 50 से अधिक उड़ानें हैं, इसी तरह इंदौर में प्रतिदिन 80 से अधिक और ग्वालियर में प्रतिदिन 20 से अधिक उड़ानें उड़ान भर रही हैं।
एयर कनेक्टिविटी कम होने से हो रही परेशानी
सीनियर एडवोकेट ने दलील दी कि एयर कनेक्टिविटी कम होने से ना सिर्फ चिकित्सा जगत से जुड़े लोग और मरीज परेशान हो रहे है, बल्कि शहर के कई सीनियर एडवोकेट जो कि सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने जाते हैं उन्हें भी परेशान होना पड़ता है। आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि फ्लाइट की कमी होने के कारण यात्रियों को कनेक्टिंग फ्लाइट लेने के लिए नागपुर,भोपाल या फिर इंदौर का रुख करना पड़ता है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय से 10 दिन में मांगा जवाब
याचिकाकर्ता का कहना है कि यह जबलपुर के साथ सौतेला व्यवहार है। सरकार ने जबलपुर हवाई अड्डे के विस्तार पर करीब साढ़े 400 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, लेकिन मप्र के अन्य शहरों की तुलना में उड़ान कनेक्टिविटी अभी भी कम है। हाई कोर्ट चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय शराब की डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए 10 दिन में जवाब मांगा है।
जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट





