जबलपुर हाई कोर्ट ने सिंगरौली कलेक्टर पर लगाया 25000 रुपये का जुर्माना, ये है पूरा मामला

Atul Saxena
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Jabalpur HC

Jabalpur News : जबलपुर हाई कोर्ट ने एक शिक्षक की याचिका पर सुनवाई करते हुए सिंगरौली के कलेक्टर जो कड़ी फटकार लगाई है और भरण पोषण से जुड़े उनके एक आदेश को गैरकानूनी और मनमाना बताया है, हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कलेक्टर पर 25000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

शिक्षक की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जताई कलेक्टर पर नाराजगी    

दरअसल सिंगरौली के निवासी शिक्षक कलेश्वर साहू की एक याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए साफ तौर पर कहा है कि कलेक्टर को भरण पोषण राशि निर्धारित करने का अधिकार नहीं है। हाई कोर्ट ने इस मामले पर यह भी टिप्पणी करते हुए कहा है कि कलेक्टर का यह आदेश पूरी तरह से गैरकानूनी और मनमाना है। हाई कोर्ट ने इस मामले पर कलेक्टर पर 25000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

कुटुंब न्यायालय में लंबित फैसले के बीच कलेक्टर ने दे दिया आदेश 

जानकारी के मुताबिक कलेश्वर साहू की पत्नी ने भरण-पोषण की धारा 125 के तहत कुटुम्ब न्यायालय में आवेदन किया था। अभी यह मामला कुटुंब न्यायालय में लंबित है जिसमें सुनवाई चल रही है। इस दौरान शिक्षक की पत्नी सिंगरौली कलेक्टर की जनसुनवाई के समक्ष पहुंची और वहां उपस्थित होकर पति पर कई तरह के आरोप लगाए।

कलेक्टर ने शिक्षा विभाग को दिया 50 फीसदी भरण पशन राशि देने का आदेश 

कलेक्टर ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि शिक्षक कलेश्वर साहू की वेतन से 50% राशि काटकर पत्नी को भरण पोषण के लिए दी जाए। यह आदेश अक्टूबर 2021 में जारी किए गए थे। कलेक्टर के निर्देश पर शिक्षा विभाग भी कलेश्वर साहू की 50% वेतन कटौती करते हुए आदेश जारी कर दिए।

कोर्ट ने आदेश को गैरकानूनी माना, 25000 रुपये का जुर्माना लगाया 

याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया था कि अभी यह मामला कुटुंब न्यायालय में लंबित है, बावजूद इसके सिंगरौली कलेक्टर ने इस तरह के आदेश दिए थे। याचिकाकर्ता के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि कलेक्टर के पास यह पावर नहीं है कि किसी की भरण पोषण राशि निर्धारित कर सके। मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल ने सिंगरौली कलेक्टर पर 25000 का जुर्माना लगाया है।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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