जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर (jabalpur) में कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) को लेकर ग्रामीण अंचलों में चल रही धीमी रफ्तार से जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी रिजु बाफना ने नाराजगी जाहिर करते हुए शिक्षा विभाग (education department) को पत्र लिखा है। जिसके बाद से शिक्षा विभाग में बवाल मच गया है, सीईओ ने ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड वैक्सीसनेशन की रफ्तार कम होने पर शिक्षकों को आड़े हाथ लिया और जिला शिक्षा अधिकारी सहित शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों को पत्र भेजकर कहा कि वैक्सीनेशन कार्य में शिक्षक महत्वपूर्ण कड़ी है परंतु देखने में आ रहा है कि इस कड़ी की सहभागिता नगण्य है। सीईओ के इस लेटर के बाद शिक्षक कर्मचारी संघों में विरोध शुरू हो गया है। राज्य शिक्षक संघ ने सीईओ की बात का विरोध करते हुए कहा कि शिक्षकों पर आरोप लगाकर उपेक्षा करना उचित नहीं है।
यह भी पढ़ें… Sex Racket: मप्र में बड़े सेक्स रैकेट का खुलासा, होटल में चल रहा था डर्टी गेम, कई गिरफ्तार
राज्य शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष नरेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि जबलपुर जिला पंचायत सीईओ द्वारा कोविड की वैक्सीन के संबंध में फैली भ्रांति को दूर करने के लिए शिक्षक संवर्ग को एक महत्वपूर्ण कड़ी तो माना परंतु यह कहकर कि इस मामले में शिक्षक संवर्ग की सहभागिता नगण्य है उन्होंने शिक्षकों का अपमान किया है। शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि अधिकारी का अपमान करके अपेक्षा करना समझ से परे है। आप तो अधिकारी है जो आदेश करेंगे उसका शिक्षक संवर्ग पूरी ईमानदारी से पालन करेगा। मैं जानना चाहता हूँ हमारे संवर्ग की सहभागिता नगण्य है ऐसा आंकलन किस आधार पर किया गया और क्यों किया गया।
नरेंद्र त्रिपाठी का कहना है कि इससे पूर्व कोरोना काल में घर-घर बीमारों का सर्वे, गाँव से बाहर जो लोग कहीं और फंसे है उनका पता उनका खाता नंबर लाकर प्रशासन को पहुँचाना, क्षेत्र की सीमाओं में चौकीदारी सहित वर्तमान में कोविड मार्गदर्शन सेंटर में ड्यूटी शिक्षक ही कर रहें है। ये तो वो कार्य है जो आदेश के पालन से हो रहा है। पर गांव-शहर जाकर संपर्क कर पता करेंगे तो सेवा कर रही सामाजिक समितियों, लोगों को कोरोना से बचाव के लिए प्रेरित करने, वैक्सीन के डर से लोगों को जागरुक करने का काम तो हम पहले ही बिना आदेश के कर रहे हैं।़
यह भी पढ़ें… World Environment Day पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की महत्वपूर्ण घोषणा
सरकार को अपने एक दिन का वेतन कोरोना पीड़ितो के इलाज के लिए देने में सबसे पहले आने वाला कर्मचारी भी प्रदेश का शिक्षक ही रहा है। इसके बावजूद न तो उसे कोरोना योद्धा माना गया न ही वैक्सीन लगवाने पर सरकार प्रशासन द्वारा प्राथमिकता ही दी गई।