जबलपुर,संदीप कुमार। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के छात्र इन दिनों क्लास रूम में नहीं बल्कि खेत और बगीचों में जाकर पढ़ाई कर रहे हैं, विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी छात्रों को इस तरह से अध्ययन करते हुए देख न सिर्फ खुश हैं बल्कि वह भी समझ रहे हैं कि छात्र थ्योरी के साथ-साथ अब प्रैक्टिकल के लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं।
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वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मोनि थॉमस इन छात्रों को खेत में ले जाकर ही ना सिर्फ पढ़ाई करवा रहे हैं बल्कि उन्हें फसल की हर बारीकी भी बता रहे है, पढ़ाई को लेकर उत्सुक छात्रों की लगन को देखते हुए डॉ मोनी थामस ने खेत को ही संचार सुविधा लैस कर दिया है, यहां पढ़ने वाले छात्रों के लिए वाईफाई सिस्टम भी लगाया गया है ताकि छात्रों को पढ़ाई के लिए किसी तरह की संचार सुविधा संबंधित दिक्कत ना हो, कई बार जब प्रोफ़ेसर उपस्थित नहीं रह पाते हैं तो वह छात्रों से ऑनलाइन संपर्क भी कर सकते हैं।
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डॉ मोनी थॉमस बताते हैं कि उनके मन में ख्याल आया कि क्यों ना छात्रों को इको क्लास के माध्यम से जोड़ा जाए जिससे कि वह ज्यादा समय तक पौधों के बीच रहेंगे उससे ना सिर्फ इनका ज्ञान पौधों के प्रति बढ़ेगा बल्कि वह रोजाना कुछ नई-नई तकनीक भी सीखेंगे,जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के एंटोंमोलॉजी विभाग के छात्र क्लास रूम में तो कई सालों से पढ़ते आ रहे हैं पर जब उनके विभाग अध्यक्ष डॉक्टर मोनी थामस ने खेत और बगीचे में पढ़ने के लिए उनसे कहा तो सभी छात्र तुरंत तैयार हो गए, छात्रों की माने क्लास रूम में ही रहकर पढ़ाई की पर जो तकनीक खेत में आकर प्रैक्टिकल के द्वारा सीखने में मिली है वह क्लास रूम में नहीं थी, छात्रा पुष्पलता कहती हैं कि थ्योरीकल पढ़ाई करने में कई बार ऐसा होता था कि समझ में नहीं आता था कि फसलों को ऐसा क्यों हो रहा है मौसम में परिवर्तन आने से फसलों को किस तरह से नुकसान हो सकता है पर अब जबकि फील्ड पर ही जाकर यह सब सीखने का मौका मिल रहा है, उन्होंने कहाँ की यहाँ सीखने के बाद जब हम किसानों के बीच जाएंगे तो उन्हें भी हम तकनीकी रूप से यह बता सकते हैं कि कैसे वह अपनी फसल को कीट मौसम से बचा सकते है और कैसे अधिक से अधिक पैदावार कर सकते है।