जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर (jabalpur) डुमना विमानतल रोड के चौड़ीकरण (widening) और अन्य विकास कार्यों के लिए आखिर क्यों हरे-भरे जंगल को काटे जाने (afforestation) की तैयारी की जा रही है, इस मामले को लेकर हाईकोर्ट (highcourt) ने जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस व्ही के शुक्ला के समक्ष कमेटी ने अपनी रिपोर्ट (report) पेश की है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा की सड़क के किनारे साइकिल ट्रैक और फुटपाथ के लिए पेड़ जरुरी नहीं है। अब इस मामले में अगली सुनवाई (hearing) 30 जून को होनी है।
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जबलपुर के गढ़ा-गंगा नगर कालोनी निवासी निकिता खम्परिया ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि डुमना के हरे-भरे जंगल को केन्द्र सरकार की बिना अनुमति के काटा जा रहा है जो की अवैधानिक है। मास्टर प्लान के तहत सड़क चौड़ीकरण और अन्य विकास कार्यों के नाम पर शहरी जंगल को काटा जा रहा है इसके लिए नगर निगम की अनुमति की बात कही जा रही है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश की गयी अंडरटेकिंग में कहा गया था कि हरे-भरे पेड़ों को नहीं काटा जाये बल्कि उन्हें संरक्षित किया जायेगा। युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अधिवक्ता अंशुमान सिंह को कोर्ट मित्र नियुक्त करते हुए निरीक्षण के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। जिसमें कोर्ट के अलावा वन विभाग, बागवानी विभाग और नगर निगम के प्रतिनिधि रहेंगे ऐसा तय किया गया था।
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कमेटी स्थल का निरीक्षण कर कितने पेड़ काटे गये है और कितने काटे जाने है इस संबंध में रिपोर्ट तैयार करेगी, इसके अलावा पेड़ों की प्रजाति और आयु के संबंध में भी रिपोर्ट तैयार करेगी। युगलपीठ ने अनावेदकों को निर्देशित किया है मिट्टी की रिपोर्ट के आधार पर कम समय में कौन सी प्रजाति के पेड़ जल्द बढ़ सकते है इसकी जानकारी देने होगी।