रक्तदान, नेत्रदान उत्तम पर देहदान करना अति उत्तम, 2 सालों से मेडिकल छात्रों का पढाई के लिए संघर्ष जारी

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जबलपुर, संदीप कुमार। मेडिकल कालेजो के छात्रों की पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है मानव संरचना को बेहतर ढंग से जानना। इसके लिए मृत देह की आवश्यकता होती है। जिसके जरिये स्टूडेंट्स मानव संरचना का अध्ययन करते हैं और प्रेक्टिक के जरिये पढ़ाई भी करते हैं। मगर विडम्बना यह है कि जबलपुर नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज में छात्रों को पढ़ाई के लिए पर्याप्त डेड बॉडी नहीं मिल रही है। जिसके कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

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कोरोना काल मे आई है बहुत समस्या
शरीर रचना विभाग के हेड डॉ एन.एल अग्रवाल का कहना है कि कोरोना काल में निश्चित रूप से हमारे छात्रों को काफी परेशानी उठानी पड़ी है क्योंकि भारत सरकार के निर्देशानुसार अगर नॉर्मल डेथ भी होती है। तो भी उसे कोरोना संक्रमित मानकर अंतिम संस्कार किया जाता था। ऐसी स्थिति में छात्रों को डेथ बॉडी नहीं मिल पाती थी। अभी कोरोना में कमी आने के बाद अब इंतजार किया जा रहा है कि कोई दान दाता अपनी देह दान करें। पर बीते 2 सालों से डेड बॉडी के लिए छात्रों को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है।

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10 छात्रो को चाहिए होती है 1 डेथ बॉडी
डॉ अग्रवाल के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में तकरीबन ढाई सौ छात्र हैं। ऐसी स्थिति में 10 छात्रो के बीच मे एक डेड बॉडी आवश्यक होती है पर बॉडी न मिल पाने के कारण मेडिकल छात्रो को पढ़ाई के लिए परेशान होना पड़ रहा है। देह दान करने वालो में भी कमी आई है। लोग फार्म तो देह दान के लिए भर देते है पर कई मर्तबा परिवार वाले भावुक होकर अंतिम संस्कार करने के लिए देह नही देते है।

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डॉ एन.एल अग्रवाल की अपील
शरीर रचना विभाग के प्रमुख डॉ एन.एल अग्रवाल ने लोगों से अपील की है कि देहदान के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग आगे आएं। लोग रक्तदान करते हैं, नेत्रदान करते हैं। वह सब उत्तम है पर देहदान करना अति उत्तम होता है क्योंकि आपके द्वारा दान की गई देश से हमारे डॉक्टर कुछ सीख कर लोगों की जान बचाने का काम करेंगे।


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Ram Govind Kabiriya

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