MP Illegal Fee Collection News : मध्य प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। क्योंकि स्कूल संचालकों ने पुलिस की जांच कार्रवाई और गिरफ्तारी पर रोक को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए कहा कि ये अपराध बेहद गंभीर है और जांच शुरुआती दौर में है, लिहाजा अभी पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। हालांकि हाईकोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से कार्रवाई को लेकर पूरा विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने अब इस मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्तों बाद, यानी 1 जुलाई के सप्ताह में तय की हैं।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि अवैध फीस वसूली को लेकर जबलपुर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए शहर के 11 स्कूलों से जुड़े 21 आरोपियों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज है, जिसके बाद जबलपुर पुलिस ने सभी को गिरफ्तार करते हुए कोर्ट में पेश किया, कुछ लोगों को जेल भेजा गया जबकि कुछ गुरुवार तक पुलिस रिमांड में थे। दरअसल जिला प्रशासन की कार्रवाई के दौरान दोषी पाए गए निजी स्कूल संचालकों ने जांच और पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर कि जबलपुर हाईकोर्ट में आज सुनवाई की गई। हाईकोर्ट में स्कूलों की ओर से कहा गया कि एफआईआर दर्ज हो चुकी है और वो जांच में सहयोग करने तैयार हैं लेकिन उन पर पुलिस कार्रवाई न की जाए।
"यह अपराध गंभीर है" एमपी हाई कोर्ट
⏺️ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने रद्द की निजी स्कूल संचालकों की जांच, कार्यवाही और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका ख़ारिज…
⏺️ अपराध की गम्भीरता देखकर लिया फैसला…
⏺️ मामले में राज्य सरकार से 4 हफ़्तों में मांगा विस्तृत जवाब…
⏺️ अवैध फीस… pic.twitter.com/iizaCHI5Nm— MP Breaking News (@mpbreakingnews) May 30, 2024
इधर शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इन स्कूलों ने चालू शैक्षणिक सत्र में छात्रों से अवैध रूप से 81.3 करोड़ रुपये का शुल्क वसूला है, बल्कि बुक सेलर्स से सांठगांठ कर फर्जी किताबें सिलेबस में लगाने का अपराध भी किया है, जो कि बच्चों का भी अनहित करने जैसा है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि अगर आरोपी स्कूल संचालकों और उनके गठजोड़ पर अगर पुलिस कार्रवाई नहीं करती तो वो जांच को प्रभावित कर सकते हैं। क्योंकि पुलिस और प्रशासन को अभी उनके स्कूलों से और भी कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त करने हैं। इन तमाम दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट जस्टिस विशाल धगट की कोर्ट ने निजी स्कूल संचालकों को राहत देने से इंकार कर दिया है।