जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर (jabalpur) में आज आयुध निर्माणियों (armament factory) में केंद्र सरकार (central government) का पुतला जलाया गया। दरअसल केंद्र सरकार द्वारा आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) को सात कंपनियों में विभाजित करने का फैसला लिया है। वहीं ओएफबी (ordnance factory board) के अंतर्गत आने वाली 41 आयुध निर्माणियां अब उक्त कंपनियों के प्रबंधन में काम करेंगी। कर्मचारी सरकार के इसी निर्णय का विरोध कर रहे हैं।
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सुरक्षा संस्थानों के तीनों महासंघ एआईडीईएफ,आईएनडीडब्ल्यूएफ, बीपीएमएस के आव्हान पर आज पुतला दहन किया जा रहा है। सुबह ग्रे आयरन फाउंडरी (जीआईएफ) में यूनियन पदाधिकारियों ने गेट मीटिंग की और उसके बाद विरोध स्वरूप सरकार का पुतला दहन किया।
इस दौरान मजदूर यूनियन के जेसीएम श्रीराम मीणा, राकेश दुबे, इंटक यूनियन के अविनाश भटकर और बीपीएमएस के शशिभूषण पांडे आदि मौजूद थे। आयुध निर्माणी खमरिया (ओएफके) में शाम 4.30 बजे पुतला दहन का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। वहीं वैस्ट लैंड गुरुद्वारे के समीप ओएफके में कार्यकरत तीनों यूनियनों वाली संयुक्त संर्घष समिति ने क्रमिक धरना भी शुरू कर दिया है।
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हिंद मजदूर सभा मध्यप्रदेश के अतिरिक्त महासचिव नेम सिंह ने कहा है कि सरकार का ओएफबी संबंधी ताजा फैसला रक्षा उत्पादन को प्राइवेट हाथों में देने की सोची-समझी योजना का हिस्सा है। यह लागू हुई तो हमारी रक्षा संबंधी तैयारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा पर बुरा असर पड़ेगा। सिद्धू ने कहा है कि हिंद मजदूर सभा ओएफबी के निगमीकरण की मंजूरी दिए जाने का कड़ा विरोध करती है और रक्षा क्षेत्र के सिविलियन कर्मियों के साथ हमेशा खड़ी है।
सिद्धू ने यह भी कहा है कि सरकार का ओएफबी संबंधी ताजा फैसला पूर्व के रक्षामंत्रियों द्वारा दिए गए आश्वासन से उलट है। रक्षा मंत्रलय की स्थायी संसदीय समिति के सामने दिए गए आश्वासन के अलावा संसद में भी सरकार कह चुकी थी कि रक्षा उत्पादन को निजी हाथों में देने की उसकी कोई योजना नहीं है। अब सरकार जो कर रही है वह साफतौर पर संसद की अवमानना है।