जबलपुर में पांचवें दिन भी दृष्टिबाधित स्कूल के छात्रों का जारी रहा धरना प्रदर्शन, कहा – अब अगला कदम होगा भूख हड़ताल

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Jabalpur News : मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर के बाईपास स्थित शासकीय दृष्टिबाधित स्कूल के छात्रों ने शुक्रवार को लगातार पांचवे दिन अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा है। छात्रों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए और कहा कि अब अगला कदम धरने के बाद भूख हड़ताल का होगा।

क्या है पूरा मामला

बता दें कि जबलपुर में सरकार दृष्टि बाधित छात्रों के लिए एक रहवासी विद्यालय चला रही है। इस विद्यालय में जबलपुर के अलावा आसपास के जिलों के भी कई दृष्टिबाधित बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। इस विद्यालय की क्षमता लगभग 200 छात्रों की है, लेकिन विद्यालय में बीते कई सालों से मेंटेनेंस नहीं हुआ है। इस वजह से इसकी इमारत जर्जर हो चुकी है। कई जगह से सीलिंग का सीमेंट गिर रहा है। बीते दिनों भी छात्रावास में खाना खाते समय सीलिंग का एक हिस्सा गिर गया था। छात्रों ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि कुछ साल पहले हॉस्टल और स्कूल के मेंटेनेंस के लिए 10 लाख से अधिक की राशि आई थी लेकिन इस राशि के बारे में किसी के पास कोई जानकारी नहीं है कि आखिर यह कहां खर्च की गई l

विद्यालय में पढ़ने वाले दृष्टि बाधित छात्रों को संगीत की शिक्षा भी दी जाती है। संगीत के शिक्षक भी हैं, लेकिन संगीत के यंत्र सालों पुराने और टूटे हुए है। संगीत के शिक्षक ने बताया कि 20 साल पहले उपकरण खरीदे गए थे उसके बाद से कोई उपकरण नहीं खरीदा गया, इस वजह से ज्यादातर उपकरण बर्बाद हो गए हैं इनका मेंटेनेंस भी नहीं हो पा रहा है। संगीत के छात्रों को केवल गाने की ही शिक्षा दी जा रही है बजाना नहीं सीख पा रहे हैं।

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इस मामले पर हमने स्कूल के प्रभारी प्राचार्य शिव शंकर कपूर से भी बात की उनका कहना है कि छात्रों की तमाम मांगों को मान लिया गया है। जो स्थानीय स्तर से है उसे पूरा किया जा रहा है जबकि शासन को भी पत्र लिखा गया है। साथ ही कलेक्टर और सामाजिक न्याय विभाग को भी जानकारी दी गई है। लेकिन अभी तक जिम्मेदारों की कान पर जूं तक नहीं रेंगी। इस कड़ाके की ठंड में इनको लेकर किसी का भी दिल नहीं पसीज रहा।
जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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