MP Breaking News
Sat, Dec 20, 2025

हाई कोर्ट ने होमगार्ड जवानों को काम से अलग करने के मामले में प्रमुख सचिव सहित अन्‍य को दिए निर्देश

Written by:Harpreet Kaur
Published:
हाई कोर्ट ने होमगार्ड जवानों को काम से अलग करने के मामले में प्रमुख सचिव सहित अन्‍य को दिए निर्देश

जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेश के गृह विभाग के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा, डीजी होमगार्ड पवन जैन, सीनियर स्टाफ आफिसर देवेंद्र कुमार विजयवथ, संगीता शाक्य व जिला सेनानी होमगार्ड सतना इंदल कुमार उपनाले को दो मार्च, 2022 तक पूर्व आदेश का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। ऐसा न किए जाने की सूरत में अवमानना के आरोप तय कर दिए जाएंगे। अगली सुनवाई दो मार्च को हाेगी। मामला हाई कोर्ट के पूर्व आदेश के विपरीत होमगार्ड जवानों को साल में दो माह काम से अलग कर घर बैठाने के रवैये को चुनौती से संबंधित है।

यह भी पढ़े.. जबलपुर : शहर से डेयरियों को न हटाने के मामले में एनजीटी ने एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने के दिए निर्देश

मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान अवमानना याचिकाकर्ता भोपाल निवासी राजेंद्र पटेरिया व अन्य, जबलपुर निवासी श्याम किशोर मिश्रा व अन्य और सतना निवासी राम मोहित पांडे व अन्य की ओर से अधिवक्ता विकास महावर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 2012 में हाई कोर्ट ने होमगार्ड जवानों के हक में राहतकारी आदेश पारित किया था। इसके तहत पूरे वर्ष काम दिए जाने व काल आफ प्रणाली बंद किए जाने की व्यवस्था दी गई थी। राज्य शासन ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जहां से हाई कोर्ट का पूर्व आदेश यथावत रखा गया। इसके बावजूद मनमानी करते हुए राज्य शासन ने 22 जनवरी, 2020 को सर्कुलर जारी कर काल आफ प्रणाली लागू कर दी। इस तरह होमगार्ड जवान पूरे साल निरंतर काम की सौगात से वंचित किए जाने लगे। लिहाजा, हाई कोर्ट में अवमानना याचिकाएं दायर की गईं। जिनकी प्रारंभिक सुनवाई करते हुए 22 जनवरी, 2022 के आदेश को स्थगित किया गया। इसके बावजूद काल आफ प्रणाली जारी रखी गई है। इससे पूर्व अवमानना याचिकाएं राज्य शासन के उस अभिवचन के आधार पर निराकृत की गई थीं कि मामले के लंबित रहने के दौरान काल आफ नहीं किया जाएगा। जिनका काल आफ किया गया है, उनको बकाया वेतन दिया जाएगा। लेकिन इस अभिवचन को तोड़ दिया गया। इसीलिए नए सिरे से अवमानना याचिकाएं दायर हुई हैं।