जबलपुर, संदीप कुमार| होशंगाबाद (Hoshangabad) जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाली एक मेधावी दिव्यांग छात्रा को, डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने से रोकने पर हाईकोर्ट (Highcourt) ने गंभीरता दिखाई है| दिव्यांग छात्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के खिलाफ नोटिस जारी किया है.|
हाईकोर्ट ने इन सभी पक्षों को 10 दिन में अपना जवाब देने के निर्देश दिए हैं और मामले पर अगली सुनवाई के लिए 11 जनवरी की तारीख तय कर दी है| दरअसल होशंगाबाद की रहने वाली 17 साल की एक मेधावी दिव्यांग छात्रा ने फर्स्ट अटैंप्ट में ही नीट परीक्षा पास की थी जिसके बाद उसे शहडोल के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीट अलॉट की गई थी| लेकिन इस दौरान छात्रा को ये कहते हुए एडमीशन लेने से रोक दिया गया कि वो 65 फीसदी दिव्यांग है|
मेडिकल छात्रों को सूटेबिलटी सर्टिफिकेट जारी करने वाली संस्था ने दो टूक कह दिया कि छात्रा का एक हाथ कटा हुआ है इसीलिए उसे एमबीबीएस में दाखिला नहीं दिया जा सकता| ऐसे में छात्रा ने जबलपुर हाईकोर्ट की शरण ली थी| छात्रा की ओर से कहा गया कि आज के इस आधुनिक युग में उसे आर्टिफीशियल लिंब लगाया जा सकता है और सिर्फ दिव्यांग होने के कारण उसकी इतनी लगन के बाद भी उसे डॉक्टर बनने से रोकना गलत है| हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार, डीएमई और एमसीआई से जवाब मांगा है|