japanese encephalitis: दरअसल यह अब रेगुलर टीकाकरण का ही हिस्सा हो गया है। आपको बता दें जापानी बुखार एक तरह का दिमागी बुखार ही होता है। जब इससे बच्चे संक्रमित हो जाते है तो आमतौर पर इसके झटके आते हैं। जैसे बार-बार होना इसका प्रमुख लक्षण है। वहीं इस दर्दनाक बीमारी में 30 पर्सेंट मामले में मौत हो जाती है।
जापानी बुखार कितना घातक हो सकता है?
दरअसल एक रिपोर्ट की माने तो इस बीमारी से 30 प्रतिशत केस में पेशेंट की मौत हो जाती है। जानकारी के अनुसार 30 प्रतिशत केस में पूरी तरह से इस बीमारी से रिकवरी नहीं होती है। जिस वजह से यह एक गंभीर बीमारी कही जाती है। आपको बता दें की यह रोग विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को होता है।
इंदौर में कितने केस है एक्टिव?
हालांकि अभी इंदौर में इसका कोई मामला अभी सामने नहीं आया है। लेकिन सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। दरअसल इंदौर में पहले इसके केस मिल चुके हैं। जानकारी के मुताबिक आठ साल पहले इंदौर के महू में इसका एक केस सामने आया था।
क्या यह जापानी बुखार एक संक्रामक है?
जी नहीं यह कोई संक्रामक नहीं है। यह बीमारी किसी दूसरी बीमारी जैसे एक-दूसरे से नहीं फैलता है। लेकिन यह अप्रैल-मई में बीमारी का फैलाव और असर काफी ज्यादा होता है। इसलिए इससे बचाव के लिए यह कदम उठाना जरूरी है। आपको जानकारी दे दें की अक्टूबर तक का पीरियड बीमारियों का पीक पीरियड माना जाता है।
टीका लगवाने के लिए कैसे संपर्क करें?
दरअसल यह रूटीन टीकाकरण ही होता है, इसीलिए यह टीका लगवाना बच्चों में जरूरी है। जानकारी के अनुसार इसके लिए अस्पताल में फिक्स सेंटर के रूप में सुविधा मिलेगी। इंदौर में पीसी सेठी, लाल अस्पताल, मांगीलाल चूरिया अस्पताल, मल्हारगंज अस्पताल आदि में टीका लगाया जाएगा।