हेराफेरी करने वाले 7 प्रबंधक चढ़े पुलिस के हत्थे, 2 की तलाश जारी

Gaurav Sharma
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झाबुआ , विजय शर्मा। जिले में हेराफेरी करने के मामले में आज पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस ने हेराफेरी करने वाले 9 आरोपियों में से 7 आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। दरअसल, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व थांदला के निर्देशन में गठित टीम द्वारा नेचरल गोल्ड पल्स एंड फ्लोरीमल, थांदला का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में दल द्वारा गेहूं 75.39 क्विंटल व चना 28.74 क्विंटल कम होना पाया गया। साथ ही कृषि उपज मंडी थांदला में फर्म द्वारा दिनांक 16 मई से दिनांक 01 जुलाई 2020 तक मंडी में प्रस्तुत भुगतान पत्रक में से 24 कृषकों का सत्यापन मौके पर करवाये जाने पर 23 कृषकों का ग्रामों में निवासी होना नहीं पाया गया। साथ ही राजस्व रिकॉर्ड में किसी भी प्रकार की भूमि इन के नाम से दर्ज नहीं थी।

हेराफेरी करने वाले 7 प्रबंधक चढ़े पुलिस के हत्थे, 2 की तलाश जारी

उपरोक्तानुसार फर्म नेचरल गोल्ड पल्स एंड फ्लोरीमल, थांदला के प्रबंधक 1- अलीहुसैन अली , मोहम्मदी अब्बास, मुस्तनसिर चिकलिया , हौजेफा , संजय वोरा, रजनीकांत , श्रेणिक गादीया , लोकेश गादीया, मुनीरा बोहरा के द्वारा फर्जी तरीके से विधि विरुद्ध गेहूं एवं चना क्रय करने के संबंध में शिकायत मिली थी, जिसपर कार्रवाई करते हुए आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरु की गई थी। पुलिस द्वारा आरोपियों की तलाश की गई जिसके परिणाम स्वरुप सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई गई है, साथ ही आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। वहीं दो फरार चल रहे आरोपी लोकेश और मुनीरा की तलाश सरगर्मी से की जा रही है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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