Lokayukta Action : शपथ लेने के तीसरे ही दिन सरपंच 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार

Atul Saxena
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कटनी, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश में हाल ही में संपन्न चुनावों के बाद शपथ ग्रहण समारोह चल रहे हैं, इसी बीच कुछ जन प्रतिनिधि ऐसे सामने आये हैं जिन्होंने शपथ को कुछ घंटों में ही भुला दिया। ताजा मामला कटनी जिले के नव निर्वाचित सरपंच का है जिसे 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए जबलपुर लोकायुक्त पुलिस ने गिरफ्तार (Sarpanch arrested for taking bribe) किया है। खास बात ये है कि सरपंच ने 2 अगस्त को ही भ्रष्टाचार के खिलाफ शपथ ली थी और तीसरे ही दिन 5 अगस्त को वे खुद रिश्वत लेते पकड़े गए।

जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश प्रयागराज के रहने वाले आलोक कुमार नामक किसान की 8 एकड़ कृषि भूमि ढीमरखेड़ा जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत खाम्हा में है जो उनकी मां के नाम है। वो इसे बेचना चाहते थे, पिछले कई दिनों से वे चक्कर लगा रहे थे।

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इस बीच सरपंच बनकर आये सुशील पाल से उनकी मुलाकात हुई , सुशील पाल ने 2 अगस्त को ही सरपंच पद की शपथ ली थी। सरपंच सुशील पाल ने आलोक कुमार से कहा कि वो 50 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से रिश्वत उन्हें देगा तो उनकी जमीन की रजिस्ट्री हो पायेगी। सरपंच ने उन्हें बाहरी व्यक्ति होने के बावजूद शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने का भरोसा दिया।

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रिश्वत मांगे जाने की शिकायत आलोक कुमार ने जबलपुर लोकायुक्त पुलिस (Jabalpur Lokayukta Police) कार्यालय में की।  लोकायुक्त एसपी संजय साहू ने अपनी टीम को एक्शन के निर्देश दिए। लोकायुक्त की टीम ने वॉइस रिकॉर्डर देकर दोनों की बात रिकॉर्ड करवाई जिसमें सरपंच सुशील पाल द्वारा पहली किश्त के रूप में 1 लाख रुपये की मांग की।

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लोकायुक्त पुलिस की समझाइश के बाद किसान आलोक कुमार रिश्वत की राशि लेकर शुक्रवार को सरपंच सुशील पाल के पास गया और उन्हें 1 लाख रुपये दे दिए। रिश्वत दिए जाने का इशारा मिलते ही पहले से तैयार लोकायुक्त पुलिस ने उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। लोकायुक्त पुलिस ने सरपंच सुशील पाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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