भूख़ हड़ताल पर जीतू पटवारी! कटनी जीआरपी थाना प्रभारी और आरक्षकों पर एफआईआर की मांग

हालांकि यह वीडियो अक्टूबर 2023 का है और इस मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा आदेश दे दिए गए हैं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के आदेश पर थाना TI और आरक्षकों को निलंबित भी कर दिया गया है।

Gaurav Sharma
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Katni GRP Station: कटनी जीआरपी थाना पिटाई मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। पटवारी का कहना है कि जब तक महिला और युवक की थाने में पिटाई करने वाले पुलिस वालों पर एफआईआर दर्ज नहीं होगी वह भूख हड़ताल पर रहेंगे।

दरअसल कटनी जीआरपी थाने का कल एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें एक युवक और एक महिला की थाना टीआई और आरक्षक बेरहमी से पिटाई करते हुए दिखाई दे रहे थे। इस वीडियो के वायरल होने के बाद से ही कांग्रेस लगातार थाना कर्मचारी और अधिकारियों पर सरकार कठोर कार्यवाही की मांग कर रही है।

सीएम के निर्देश पर किया जा चुका है अधिकारियों का निलंबन

हालांकि यह वीडियो अक्टूबर 2023 का है और इस मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा आदेश दे दिए गए हैं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के आदेश पर थाना TI और आरक्षकों को निलंबित भी कर दिया गया है।

पटवारी ने पूछा YES or NO 

इस मामले को लेकर जीतू पटवारी आज कटनी पहुंचे जहां उन्होंने पुलिस अधिकारी से सवाल किया कि आप FIR करेंगे या नहीं यस और नो? पुलिस अधिकारी के No कहते ही जीतू पटवारी भूख हड़ताल पर बैठ गए और दोषियों के खिलाफ एफआईआर की मांग करने लगे।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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