MP Election 2023 : बीजेपी विधायक संजय पाठक का अनोखा अंदाज, जनता से पूछा- चुनाव लड़ू या नहीं? करवा रहे वोटिंग, इतने वोट मिलेंगे तभी लड़ेंगे इलेक्शन

Pooja Khodani
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MP Election 2023 : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कटनी के विजयराघवगढ़ विधानसभा से बीजेपी विधायक संजय पाठक के एक फैसले ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।इस बार संजय पाठक ने जनता के आदेश पर ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।इसके लिए बकायदा विधायक द्वारा 21 से 25 अगस्त तक वोटिंग करवाई जा रही है,जिसमें जनता से पूछा है कि मैं चुनाव लड़ू या नहीं । पाठक का साफ कहना है कि अगर 50 प्रतिशत से कम वोट मिले तो चुनाव नहीं लड़ूगा।

दरअसल, इस साल कटनी के विजयराघवगढ़ विधानसभा से विधायक संजय पाठक ने जनता के आदेश पर ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। इसके लिए वह 21 अगस्त से 25 अगस्त तक वोटिंग करा रहे है।  कार्यकर्ता मतदान पेटिंया लेकर गांव-गांव और बूथ स्तर तक जाएंगे। पांच दिन तक लोगों से वोटिंग कराई जाएगी।  वे जनता से वोटिंग करा कर पूछ रहे है कि मैं चुनाव लड़ू या नहीं नहीं। पाठक का कहना है कि अगर 50 प्रतिशत कम वोट मिले तो चुनाव नहीं लड़ूगा,  जनता के आदेश पर ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।

25 अगस्त को होगी मतगणना

खास बात ये है कि एक मतदान पर्चा छपाया गया। जिसमें लिखा है कि क्या आप अपने संजय सत्येंद्र पाठक को पुन: अपना विधायक बनाना चाहते है। इसमें हां और नहीं के दो विकल्प दिए गए है। जिनमें से एक पर टिक कर पर्चे को मतदान पेटी में डालना है। पेटियों को सील किया गया है। एक व्यक्ति एक ही बार वोट कर सकेगा। 25 अगस्त को वोटिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही मतगणना की जाएगी।

अगर 50% से कम वोट मिले तो नहीं लड़ूंगा चुनाव : संजय पाठक

संजय पाठक ने दावा किया है कि पद महत्वपूर्ण नहीं है। पार्टी आलाकमान जिसको चाहे टिकट दे। मुझे स्वीकार है।  यदि उनको 50 प्रतिशत लोगों के मत नहीं मिले तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।  जनता तय करेगी मेरे भाग्य का फैसला। इन्होंने कहा कि अगर आपको लगे कि मैंने कोई काम नहीं किया तो आप मना कर देना।संजय पाठक ने कहा कि बाबूजी हमेशा से आपके लिए सेवाभाव करते थे। विजयराघवगढ़ मेरा परिवार है। आपकी सेवा हमेशा से करता आया हूं और आगे भी करता रहूंगा। पद महत्वपूर्ण नहीं है। सेवाभाव जरूरी है। बाबूजी से हमने यही विरासत में पाया है।

 

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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