Khandwa News : श्रद्धालुओं की किस बात पर भड़क गए पुजारी, मंदिर में पुलिस के सामने की पिटाई

Amit Sengar
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Khandwa News : मध्यप्रदेश के प्रमुख तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में शनिवार शाम को एक अप्रिय घटना हो गई, अब जिसका वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मंदिर के पुजारी और भक्तों के बीच जमकर हंगामा किया। हंगामा इतना बढ़ा की मारपीट भी हो गई, यह घटनाक्रम पुलिस की मौजूदगी में होते दिखाई दे रहा है लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस ने मामले को संभाला लिया। दरअसल, शनिवार को बड़ी संख्या में भक्त ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचे थे। यहां भक्तों ने मंदिर के पुजारियों पर भेदभाव का आरोप लगाया। जिसके बाद मंदिर के कई पुजारियों ने भक्तों के साथ मारपीट की। बता दें कि पहले भी कई बार मंदिर ट्रस्ट की खामियां सामने आईं थीं। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं लेकिन कई बार अव्यवस्था के कारण मंदिर ट्रस्ट पर आरोप लग चुके हैं।

यह है मामला

बता दें कि मंदिर ट्रस्ट के लोगों ने कुछ भक्त गणों के साथ मारपीट की। मामला दर्शन करने को लेकर था। भक्तों ने मंदिर के पंडितों पर आरोप लगाया कि वे भेदभाव कर रहे हैं लोग घंटों लाइन में लगे हैं और वे पैसा लेकर बैक डोर एंट्री दे रहे हैं। यह विवाद इतना बढ़ा कि हालत मारपीट तक पहुंच गया पुलिस की मौजूदगी में भक्तों के साथ मारपीट का वीडियो वायरल हो रहा है। हालांकि पुलिस के हस्तक्षेप से ही विवाद थमा है। मामले की पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है।

गौरतलब है कि जिले के पत्रकारों के लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है कि ओमकारेश्वर में बड़े पैमाने पर हो रही अनियमितताओं को उजागर नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा नहीं कि वे मंदिर समिति से डरते हैं, बल्कि बाहर से आने वाले आम लोगों की दिक्कतें, लोकल व्यवस्था संभालने वाले दबा देते हैं। मंदिर ट्रस्ट कमाई में लगा है। पुजारी मनमाने लोगों को अंदर खींचकर दर्शन करा रहे हैं।

मीडिया वाले वास्तविक लोग भी जाते हैं, तो कानून का मैन्यू दिखाने लगते हैं। एसडीएम से ही रुपए मांगकर वीआईपी दर्शन का जहां बोल दिया जाए तो आम आदमी की क्या बिसात? विश्व के सम्राट ओमकारेश्वर के दरबार में वीआईपी जैसी प्रथा क्या उचित है?

कलेक्टर को चाहिए कि यहां स्थानीय अव्यवस्थाओं और एजेंटों तथा अवैध कमाई कर दर्शन कराने वालों पर कानून का हंटर चलाएं। एसडीएम को नियुक्त कर काम खत्म नहीं हो जाता बड़ी व्यवस्थाएं जैसे आज पुजारियों द्वारा भक्तों को पीटने जैसे मामले पर कलेक्टर को संज्ञान लेना चाहिए। देश में खंडवा के प्रशासन की बदनामी होती है। यहां गंदगी का भी देश भर में लोग जिक्र करते हैं। सार्वजनिक शौचालयों में शराब की बोतलों के ढेर लगे हुए हैं। मंदिर के आसपास विशेष तरह की बदबू आती है। विश्व प्रसिद्ध मंदिर मैं थोड़ी बहुत व्यवस्थाएं दो होनी चाहिए लेकिन नगर परिषद भी केवल बजट पर निगाहें गड़ाए रखती हैं। काम क्या होता है यह वहां की परिस्थितियां बता रही हैं लेकिन कलेक्टर जैसे अफसर क्यों इंटरेस्ट नहीं लेते? यहां कुछ पंडितों की दादागिरी खत्म करने के लिए योगी जैसे स्टाइल की आवश्यकता है।
खंडवा से सुशील विधाणी की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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