खंडवा। सुशील विधानि।
ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों का जल सत्याग्रह आज दसवें दिन भी पूरी ताकत के साथ जारी रहा। खराब होते स्वास्थ्य की चिंता न करते हुए जल सत्याग्रही पूरे संकल्प व विश्वास के साथ पानी में डटे हुए हैं। दिन प्रतिदिन उनके पैरों की चमड़ी उतरती जा रही है और स्वास्थ्य में गिरावट होती जा रही है। ओम्कारेश्वर प्रभावित जल सत्यग्रहीयों का शरीर लगातार गल रहा है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार लंबे समय तक जल में डूबे रहने या जल में एक स्थान पर खडे रहने से होने वाली समस्याएं:
1. चमडी गल जाना
2. फंगस लगना
3. सेल्यूलाइटिस या पैर का घातक संक्रमण
4. नसों में थक्का जमना या DVT
5. हाइपोथर्मिया या शारीरिक तापमान का गिरना
6. मृत्यु
अहम प्रश्न खड़ा होता है कि स्वास्थ्य को गंभीर खतरा होने के बावजूद प्रभावितों के कानूनी और संवैधानिक अधिकारों के बारे सरकार के निर्णय में देरी क्यों हो रही है?
पानी भरने से एन एच डी सी के दावों की पोल खुली
ओंकारेश्वर बांध में पानी लगातार बढ़ता जा रहा है और इस पानी भरने के कारण अनेक गांव की जमीने डूब गई है या टापू बन गई है, जिनको भू अर्जन में लिया ही नहीं गया है। खंडवा जिले के ग्राम एखण्ड व ग्राम देगावां की जमीने टापू बन चुकी है। इन गांव में कुछ जमीनों में पानी भर गया है जिनका अधिग्रहण नहीं हुआ है। दूसरी ओर देवास जिले के ग्राम कोथमीर, धारडी, नयापुरा, गुवाड़ी, नरसिंहपुरा में आई डूब ने एन एच डी सी के सभी दावों की पोल खोल दी है। पूर्व में एन एच डी सी के इंजीनियर ने सर्वेक्षण उपरांत बताया था कि इन गांवों की लगभग 700 एकड़ जमीन टापू बन जाएगी और इन जमीनों पर पहुंचने का रास्ता बनाए जाना संभव नहीं है, अतः इन जमीनों का अधिग्रहण कर लिया गया। परंतु जब विस्थापितों ने जमीन के बदले जमीन की मांग की तब तत्कालीन अधिकारियों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में झूठे हलफनामे दायर करके यह कह दिया गया कि उन्होंने इन सभी जमीनों पर जाने के रास्ते बना दिए हैं औरवइन जमीनों के अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं है। अतः सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद इन जमीनों का अधिग्रहण वापस कर दिया गया। पर अब जब ओंकारेश्वर बांध में पानी भरा गया है तब इन 5 गांव की सैकड़ों एकड़ जमीन पूरी तरह से टापू बन गई है और वहां जाने का कोई रास्ता नहीं है।
साफ है कि एन एच डी सी द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में झूठे हलफनामे फाइल किए गए थे जिस कारण आज सैकड़ों परिवारों को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। विडंबना है कि जिन जमीनों का अधिग्रहण करने के बाद अधिग्रहण वापस किया गया था, अब उन जमीनों का अधिग्रहण फिर से किया जाना होगा।
प्रभावितों के पुनर्वास के लिये एन एच डी सी के पास पर्याप्त पैसा
सत्याग्रह स्थल पर हुई सभा को संबोधित करते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रमुख व जल सत्याग्रही आलोक अग्रवाल ने कहा एनएसडीसी द्वारा राज्य सरकार के साथ में हुए समझौतों के अनुसार ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों के संपूर्ण पुनर्वास के खर्च एन एच डी सी द्वारा ही किया जाएगा। यदि हम एनएचडीसी के आय व्यय का विवरण को देखें तो साफ है कि गत 5 वर्षों में एनएचडीसी द्वारा 5000 करोड़ रु का शुद्ध लाभ कमाया गया है। अतः विस्थापितों के पुनर्वास के लिए खर्च करने में एनएचडीसी को कोई आर्थिक दिक्कत नहीं है। अतः जरूरी है कि तत्काल राज्य सरकार निर्णय ले और ओमकारेश्वर बांध प्रभावितों के बचे हुए भू अर्जन और पुनर्वास की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरा किया जाए।