खंडवा, सुशील विधानी
खंडवा शहर का एकमात्र ओवरब्रिज जिस पर शहर के दो भागों में बंटा होने के कारण पूरा यातायात इसी ब्रिज पर निर्भर रहता है, बदहाल है। हर वर्ष बरसात के दिनों में इस ब्रिज पर जानलेवा गड्ढे निर्मित हो जाते हैं। इसपर कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं जिसमें कई व्यक्तियों की जान भी गई है, लेकिन फिर भी जिला प्रशासन आंखों पर पट्टी बांध कर बैठा हुआ है। केंद्र की सत्ता से लेकर राज्य की सत्ता तक सांसद विधायक महापौर सभी लोग बीजेपी के होने के बाद भी शहर वासियों को इन गड्ढों के बीच से गुजरना पड़ता है और दुर्घटना की आशंकाओं से गुजरना पड़ता।
नेता हर साल शहर वासियों को आश्वासन देते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कई बार शहर के वकील और समाजसेवी लोगों ने आगे आकर इन गड्ढों में बेशर्म के पौधे लगाए, इससे गड्ढे कुछ समय के लिए बंद हो जाते हैं लेकिन बरसात आने के बाद यह गड्ढे फिर बन जाते हैं। कई बार यातायात विभाग ने सकारात्मक पहल दिखाते हुए इन गड्ढों को भरने का प्रयास भी किया लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारी और एमपीआरटीसी के अधिकारी इस ओर से मुंह फेरकर बैठे हुए हैं। उन्हें यह गड्ढे जैसे दिखाई ही नहीं देते।
इस विषय पर जब हमने महाप्रबंधक से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि रेलवे ब्रिज में हुए बड़े गड्डों को भरने का कार्य तीन से चार दिनों में पूर्ण हो जाएगा। यह बात एमपीआरडीसी के महाप्रबंधक प्रवीण निमजे ने फोन चर्चा के दौरान आश्वस्त करते हुए कहाी। उन्होने कहा कि रेलवे ब्रिज का निर्माण पीडब्ल्यूडी ब्रिज कार्पोरेशन द्वारा वर्षो पूर्व किया गया था और अब यह ब्रिज हमारे अधीन है। विगत दिनों वर्षाकाल में पूल पर कई जगहों पर गड्ढे हो गए हैं और सरिये भी निकल आए हैं। जनहित को देखते हुए तीन से चार दिनों में इन गड्डों को भरने का कार्य कर दिया जाएगा। शहर के शासकीय कार्यालयों के साथ ही शहर की 80 प्रतिशत जनता का कार्य सिविल लाईन क्षेत्र में स्थिति कार्यालयों में प्रतिदिन होता है, लेकिन बस स्टैंड रेलवे, स्टेशन पर बने ओवरब्रिज पुल पर बारिश के चलते इतने गड्ढे हो गए हैं कि मोटरसाइकिल सवार गिरने लगे हैं। कई लोग घायल हो चुके हैं। लगातार दुर्घटनाओं का अंदेशा बढ़ता जा रहा है। पुल बनने के बाद अभी तक इस पर कोई बड़ा रिपेयरिंग कार्य नहीं होने से पुल के ऊपर 8 से 10 बड़े-बड़े गड्डे हो गए होने से लोहे के सरिये बाहर निकल आए हैं। इन गड्डो से बचने के लिए राहगीर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। पुल पर रिपेयरिंग का कार्य शीघ्र नहीं हुआ तो बड़ी घटना भी हो सकती है। 15 अगस्त को मैं स्वयं भी मोटरसाइकिल के साथ गिर गया। विभागों की आनाकानी के चलते यह कार्य मूर्तरूप नहीं ले पा रहा है। कोई भी विभाग इतने बड़े पुल का अपना नहीं मान रहा है। लोकनिर्माण विभाग, नगर निगम प्रशासन, एमडीसी विभाग एक दूसरे पर पल्ला झाड़ते नजर आते हैं। अधिकारियों को शिकायत करने के बावजूद भी पुल पर गड्डे भरने का कार्य नहीं हो पा रहा है। शायद लगता है कि विभागों को कोई बड़ी घटना का इंतजार है। रविवार को समाजसेवी सुनील जैन ने नगर निगम आयुक्त हिमांशु भट्ट से ब्रिज के गड्डे भरने का अनुरोध किया और कहा कि ब्रिज किसी विभाग का भी हो जनहित को देखते हुए निगम प्रशासन द्वारा यह कार्य करवाना चाहिए। इस पर आयुक्त ने कहा कि संबंधित विभाग के अधिकारी यह कार्य नहीं करवाएंगे तो निगम प्रशासन यह कार्य करवा देगा।