नर्मदा नदी के लम्हेटा और सरस्वती घाट पर पुल निर्माण मामला, हाईकोर्ट का दखल से इंकार

Gaurav Sharma
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हाईकोर्ट

जबलपुर, संदीप कुमार। नर्मदा नदी में जबलपुर के लम्हेटा घाट और सरस्वती घाट में पुल निर्माण को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार के पॉलिसी मैटर में दखल से इंकार कर दिया। जिसके बाद याचिकाकर्ता की तरफ से याचिका वापस लेने का आग्रह किया गया, जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया है।

पुल निर्माण को लेकर लगाई गई थी याचिका

दरअसल, चौक निवासी गोपाल हुंका की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि सरकार ने लम्हेटा घाट और सरस्वती घाट में नर्मदा नदी पर पुल निर्माण का निर्णय लिया है, दो पुल के निर्माण में लगभग 16 करोड रूपये व्यय होगे। वर्तमान समय में जबलपुर में नर्मदा नदी पर तीन पुल बने हुए है, जो आवाजाही के लिए पर्याप्त है। दो नये पुल निर्माण की कोई आवश्यकता नहीं है, साथ ही इससे नदी का बहाव प्रभावित होगा।

हाईकोर्ट ने दखल से किया इंकार

याचिका में पुल निर्माण पर रोक लगाये जाने की मांग की गयी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने पाया कि पुल निर्माण से किसी के संवैधानिक अधिकारियों का हनन नहीं हो रहा है। युगलपीठ ने इसे सरकार का पॉलिसी मैटर बताते हुए याचिका में हस्ताक्षेप करने से इंकार कर दिया है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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