छतरपुुर में पुलिस के सामने लेखपाल ने कार्यपालन यंत्री पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

Gaurav Sharma
Published on -

छतरपुर, संजय अवस्थी। छतरपुर का लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी कार्यालय इन दिनों आपसी विवाद का अखाड़ा बन गया है। यहां पदस्थ कर्मचारियों के दो गुट आए दिन एक-दूसरे से मौखिक और कागजी लड़ाई लडऩे में जुटे हैं। मुख्य लड़ाई यहां पदस्थ संभागीय लेखापाल आनंद दयाल एवं हेल्पर कालका प्रजापति के बीच चल रही है। लेकिन आनंद दयाल का कहना है कि कालका प्रजापति के माध्यम से कार्यपालन यंत्री महेन्द्र ङ्क्षसह उनके खिलाफ शिकायतें कराते हैं।

लगे ये आरोप

दोनों ही पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ पुलिस सहित देश के कई कार्यालयों में शिकायतें भेज रखी हैं। आनंद दयाल जहां खुद को अनुसूचित जाति का कर्मचारी बताकर दफ्तर में अन्य अधिकारियों द्वारा भेदभाव करने एवं कार्यपालन यंत्री द्वारा भ्रष्टाचार करने के आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हेल्पर कालका प्रजापति ने आनंद दयाल पर ठेकेदारों से पैसे मांगने, मारपीट करने जैसे आरोप लगाए हैं।

रोकनी पड़ी जांच

इन्हीं शिकायतों की जांच करने जब गुरूवार को कोतवाली में पदस्थ सब इंस्पेक्टर सुरेन्द्र सिंह मरकाम कार्यालय पहुंचे तो आनंद दयाल ने पुलिस के सामने ही कार्यपालन यंत्री महेन्द्र सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा डाला। किसी तरह पुलिस को दोनों अधिकारियों को शांत कराना पड़ा और फिर पुलिस जांच रोकनी पड़ी। इस मामले में अब दोनों पक्षों को पुलिस अलग-अलग बयान लेने के लिए बुलाएगी।

इनका कहना ये है

छतरपुर पीएचई के कार्यपालन यंत्री महेन्द्र सिंह कहते है कि आनंद दयाल इसके पहले भी जहां पदस्थ रहे हैं। वे अपने अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ र्दुव्यवहार करते रहे हैं। उनके खिलाफ महालेखागार कार्यालय से चेतावनी पत्र जारी हुआ है। वे हमेशा इस तरह के आरोप लगाने के आदी हैं।

 


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News