मंडला, डेस्क रिपोर्ट। गोलगप्पे, फुल्की, चाट, पानी बताशे, पुचका…नाम भले कुछ भी हो लेकिन जब भी इनका जिक्र आता है तो मुंह में पानी भर जाता है। गोलगप्पे भला किसे पसंद नहीं होंगे। खासकर त्यौहार वगैरह पर तो ऐसी चटपटी चीज़ें और भाती है। लेकिन मंडला में प्रशासन ने गोलगप्पे खाने पर रोक लगा दी है।
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मंडला जिले से लेकर चिरईडोंगरी क्षेत्र तक में गोलगप्पे बेचने पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। दरअसल गोलगप्पे खाने के बाद पिछले दो दिन में 115 लोग फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो गए जिसके बाद प्रशासन ने ये कदम उठाया है। सिर्फ गोलगप्पे बनाने और बेचने पर ही नहीं बल्कि इसकी सामग्री बेचने पर भी रोक लगाई गई है। बता दें कि चिरईडोंगरी क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों में गोलगप्पे फूड प्वाइजनिंग के मरीजों के अस्पताल आने का सिलसिला शुरू हुआ और ये सिलसिला रविवार दोपहर तर जारी रहा। बीमारों का आंकड़ा सौ पार होने के बाद प्रशासन हरकत में आया। मामले की जांच के बाद पता चला कि गोलगप्पे खाने के बाद ये बीमारी फैली है और इसके बाद उसपर बैन लगा दिया गया।
पूछताछ में सामने आया कि दो भाई फुल्की का ठेला लगाते हैं और उन्हीं के पास से चाट खाने के बाद लोग बीमार पड़े। इनमें 57 बच्चे और गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं जिन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल और नारायणगंज स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। एक बच्चे की हालत नाजुक है जिसे जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। इतनी तादाद में एक साथ लोगों को फूड प्वाइजनिंग होने से इलाके में अफरा तफरी मच गई। फिलहाल प्रशासन स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और चाट फुल्की पर अगले आदेश तक के लिए बैन लगा दिया गया है।