मण्डला, सुधीर उपाध्याय
सरकारें दावा करती हैं कि वो किसानों की मददगार हैं, प्रशासन व्यवस्था ठीक होने की घोषणा करता है कि किसान को समय पर खाद बीज उपलब्ध कराया जाएगा, सरकारी विज्ञप्तियों को अखबारों में स्थान मिल रहा है कि किसानों को समय पर खाद मिल रहा है। लेकिन सच तो किसान ही जानता है कि बाजार में 1 बोरी खाद के 480 रुपये उसे अदा करने पड़ रहे हैं।
पिछले 20 दिनों से मण्डला में सरकारी खाद उपलब्ध नहीं है, यह समय खेत मे लगी फसल को खाद की जरूरत है। खाद आपूर्ति करने वाले विभाग तकनीकि समस्या बता रहे हैं, लेकिन फसलों को विभाग की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं होता है। यानी समय पर सिस्टम किसानों को खाद उपलब्ध नहीं कर पा रहा है और मजबूर होकर किसान ढाई गुनी क़ीमत अधिक देकर बाजार में जमा रखी गई खाद खरीद रहा है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बीते दिनों ज्ञापन के माध्यम से प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया लेकिन सिस्टम इस कालाबाजारी के आगे विवश नजर आ रहा है।
कटरा के किसान ने बताया कि इन दिनों फसल खेत में खड़ी हो रही है, इस समय किसानों को खाद की अधिक जरूरत होती है, यही समय सरकारी सिस्टम में खाद का आभाव व्यापारियों के लिए बड़े मुनाफा का होता है, लेकिन इस खाद संकट में किसानों का शोषण हो जाता है और इन दिनों मण्डला में यही हो रहा है जो खाद किसानों को 260 रुपये में मिल सकती है, वही खाद किसानों को बामुश्किल 480 रुपये में मिल रही है। साथ ही जिम्मेदार विभाग की इस लापरवाही में जिम्मेदारी तक तय नहीं हो रही है।