मंदसौर, तरुण राठौर। नगर पालिका चुनाव को लेकर हुए आरक्षण के बाद से ही बीजेपी में अध्यक्ष पद के दावेदारों की लंबी लिस्ट सामने है। वहीं आगामी दिनों में अध्यक्ष पद को लेकर कई और नए नाम भी सामने आ सकते है। ऐसे में पार्टी व संगठन के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है कि वह किसे अपना दावेदार बनाए व किसे नही बनाएं।
पार्टी द्वारा पहले ही सर्वे किया जा चुका है, जिसके आधार पर वार्ड में पार्षद को टिकिट दिया जाना है। वह भी नए नियम के तहत, जिसमें उम्र से लेकर बूथ स्तर तक उसकी पकड़ हो। पर गुटबाजी के चलते नियमों पर खरे उतरे दावेदारों को टिकिट देने में काफी मुश्किल खड़ी हो सकती है। वैसे तो भाजपा सभी वार्ड सहित अध्यक्ष पद को जीतने की बात करती है। किन्तु गुटबाजी की वजह से नगर को योग्य उम्मीदवार देना उसके लिए सबसे बड़ा धर्मसंकट बना हुआ है, वह भी बिना किसी गुट को नाराज किए। ऐसे में देखना होगा कि पार्टी इस धर्मसंकट से निकलते हुए किसे अपना उम्मीदवार बनाती है क्योंकि हर एक दावेदार किसी न किसी बड़े नेता का चहेता ओर विधायक व सांसद गुट से जुड़ा हुआ है। इसी भरोसे पर वह अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी कर रहा है और अपने आका व गुट से उम्मीद रख रहा है कि वह उसका टिकिट फाइनल कराए।
इस वजह से अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी को लेकर पार्टी में गुटबाजी साफ दिखाई दे रही है जो भाजपा के लिए परेशानी का बहुत बड़ा कारण बना हुआ है। यदि विधायक गुट को टिकिट मिलता है तो सांसद गुट नाराज हो जाएगा। और यदि सांसद गुट को टिकिट मिला तो विधायक गुट इसका विरोध करेगा। इन दोनों के अलावा नगर में तीसरा गुट भी है जो है पूर्व मंत्री का है। पूर्व मंत्री गुट से खुदद उनकी पुत्रवधू अध्यक्ष पद की प्रमुख दावेदार है। जबकि क्षेत्री विधायक की मंशा है कि वह कैसे भी अपने खास को टिकिट दिलाए ताकि उनका नगर पालिका पर कब्जा रहे। ऐसे में देखना होगा कि आखिर बीजेपी इस मुसीबत का क्या हल निकालती है।