Sat, Dec 27, 2025

जात पात की विदाई, हम सब हिंदू भाई भाई”, बागेश्वर बाबा की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा में लाखों लोगों का जमावड़ा

Written by:Bhawna Choubey
Published:
Pandit Dhirendra Shastri: "जात पात को समाप्त कर 'हम सब हिंदू भाई-भाई' का संदेश देते हुए बागेश्वर बाबा की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा ने लाखों श्रद्धालुओं को एकजुट किया। इस ऐतिहासिक यात्रा में देशभर से आए लोग एकजुट होकर हिंदू समाज की शक्ति और एकता का प्रतीक बने।
जात पात की विदाई, हम सब हिंदू भाई भाई”, बागेश्वर बाबा की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा में लाखों लोगों का जमावड़ा

Pandit Dhirendra Shastri: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा की शुरुआत कर दी है, जो हिंदू समाज में एकजुटता का प्रतीक बन गई है। गढ़ा स्थित बागेश्वर धाम से शुरू होकर यह पदयात्रा ओरछा तक जाएगी, जो करीब 160 किलोमीटर लंबी है।

आपको बता दें, इस यात्रा में लाखों की संख्या में भक्त शामिल हुए हैं, जो बाबा की अपील पर एकजुट होकर इस यात्रा में भाग ले रहे हैं। यात्रा की शुरुआत से पहले बाबा ने कहा कि यदि हमें छेड़ा गया तो हम शांत नहीं बैठेंगे, जिससे यह संदेश दिया गया है, कि यह यात्रा न केवल एक धार्मिक यात्रा है बल्कि हिंदू समाज की एकता और शक्ति का प्रदर्शन भी है।

बागेश्वर धाम में उमड़ी लाखों श्रद्धालुओं की भीड़

बागेश्वर बाबा की पदयात्रा में भाग लेने के लिए देशभर से लाखों हिंदू श्रद्धालु बागेश्वर धाम पहुंचे हैं, जिससे वहां एक अपार भीड़ जुट गई है। धाम में इस कदर भीड़ उमड़ी है, कि भक्तों के लिए पैर रखने तक की जगह नहीं बची है। बागेश्वर धाम को श्रद्धालुओं से भरा हुआ देखा जा रहा है और धाम से जुड़े लोग यह बता रहे हैं, कि लाखों की संख्या में लोग यहां आ चुके हैं।

160 किमी की यात्रा में भक्तों का उमड़ा सैलाब

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा की शुरुआत 21 नवंबर को बागेश्वर धाम से हुई है, जो 160 किमी लंबी है। आपको बता दें, इस यात्रा का समापन 29 नवंबर को ओरछा में होगा। यात्रा के पहले दिन पथिको ने 15 किमी की यात्रा की और कादरी में विश्राम किया। अगले दिनों में यात्रा विभिन्न गांवों और कस्बों से होती हुई श्रद्धालुओं के साथ आगे बढ़ती जाएगी। रास्ते में भक्तों को विश्राम के लिए विभिन्न स्थानों पर ठहराव मिलेगा।
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बागेश्वर बाबा की यात्रा का उद्देश्य”

बागेश्वर बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी यात्रा की शुरुआत से पहले कहा कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भेदभाव और जात पात को खत्म करना है। उनका मानना यह है कि हिंदू समाज में एकता लाने के लिए यह काम बेहद जरूरी है। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी बात को आगे रखते हुए कहा कि समाज में धर्मांतरण की समस्या इसलिए बड़े रही है क्योंकि हम उन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं और वे लोग शहर आ नहीं पाते है और यह जो गैप डिस्टेंस है, यही कारण है कि धर्मांतरण दिन पर दिन बढ़ रहा है।

आदिवासी नहीं बल्कि यह अनादिवासी है – बागेश्वर बाबा

उन्होंने आगे कहा कि हमें इस रिक्त स्थान को भरने के लिए उन्हें भी अपने उत्सवों में शामिल करना चाहिए, हमें भी उनके उत्सवों में शामिल होना चाहिए, उनका सम्मान बरकरार रखना चाहिए। उनका दावा है कि आदिवासी नहीं बल्कि यह अनादिवासी है, जो भगवान राम के समय हमारे समाज का हिस्सा रहे हैं। बागेश्वर बाबा ने यह अपील भी की है कि हमें इन समुदायों को सम्मान देना चाहिए और धर्मगुरुओं को गरीबों और इन वर्गों तक अपनी पहुंच बनानी चाहिए, ताकि समाज में एकता और समरसता बनी रहे।

मंदिर और मस्जिदों में गाया जाना चाहिए राष्ट्र गीत

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी पदयात्रा के दौरान लोगों से शालीनता और एकता के साथ यात्रा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जब तक सभी सनातनियों को एकजुट नहीं किया जाएगा, तब तक उनकी कोशिश जारी रहेगी। वे अखंड भारत और हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए सभी सनातनी प्रेमियों से सहयोग की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं शास्त्री ने यह भी कहा कि मंदिर और मस्जिदों में राष्ट्र गीत गाया जाना चाहिए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इस मातृभूमि से किस सच्चा प्रेम है और कौन नफरत करता है।

मंत्री उदय प्रताप ने बागेश्वर धाम पदयात्रा को बताया प्रेरणादायक

मंत्री उदय प्रताप ने बागेश्वर धाम में गुरु जी की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा को एक महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक पहल बताया है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा विशेष रूप से युवा पीढ़ी को अपनी सनातन संस्कृति और धर्म से जोड़ने का एक बहुत ही अच्छा प्रयास है। उन्होंने कहा कि मैं गुरूजी के इस कदम की सराहना करता हूं कि आज के दौर में जब सुविधा उपलब्ध है तब भी गुरुजी ने पैदल यात्रा करने का निर्णय लिया जो समाज के प्रति उनके समर्पण और संस्कृति के प्रति उनके प्रेम को बखूबी दिखाता है।

आज के जमाने में लोगों के पास एक नहीं बल्कि अनेक साधन है, इसके बावजूद भी गुरुजी ने पैदल चलकर यात्रा करने का विचार किया है। वह चाहे तो बहुत ही ऐश्वर्य का जीवन जी सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी सड़क पर उतरकर अपनी संस्कृति के लिए और अपने धर्म के लिए पैदल चलकर एक संदेश देने का काम कर रहे हैं यह बहुत ही तारीफ के काबिल है।