मुरैना, संजय दीक्षित। प्रधानमंत्री के निर्देशन में देश-प्रदेश में कोरोना (Coronavirus) महामारी से लोगों को बचाने के लिए वैक्सीनेशन (Vaccination) का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है, लेकिन इसमें संबंधित अधिकारी अपनी नौकरी बचाने के लिए फर्जीवाड़ा (Fraud) करने से भी नहीं चूक रहे है। ऐसा ही एक फर्जीवाड़े का मामला मुरैना (Morena) मुख्यालय पर देखने को मिला है, जहां चार महीने पहले मृत व्यक्ति को वैक्सीन का दूसरा डोज लगाए जाने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। इससे अधिकारी व कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर कहीं न कहीं सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं, तो वहीं सरकार के दावों पर भी सवाल उठते हुए नजर रहे हैं।
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जानकारी के अनुसार आर्मी के रिटायर हवलदार लल्लू सिंह परमार मपरैना के निवासी सैनिक कॉलोनी हरविलास पैलेस को कोविशील्ड का पहला डोज 16 अप्रैल 2021 को लगा दिया था। उसके ठीक 1 महीने बाद 17 मई 2021 को उसकी मृत्यु हो गई थी। इसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी उनके परिवार के पास है। यह प्रमाण पत्र योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा मृतक के परिवार को दिया गया था। वहीं अब सबसे बड़ी हैरानी की बात उस समय सामने आयी जब सोमवार 27 सितंबर 2021 को लल्लू सिंह परमार के नाम से कोविशील्ड का दूसरा डोज लगाने का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया।
ऐसा ही दूसरा मामला
इसके बाद ऐसा ही दूसरा मामला पुरानी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी मुरारीलाल उपाध्याय का सामने आया है। खबर के मुताबिक उनको वैक्सीन का पहला डोज 8 मार्च 2021 और दूसरा डोज 27 सितंबर 2021 सोमवार को लगाया गया है वहीं टीका लगाने वाले का नाम सूर्यकांत चौरसिया बताया गया है। जब मुरारीलाल उपाध्याय के बारे में जानकारी हासिल हुई है तो पता चला कि उन्हें मार्च में डोज लगने के बाद 27 अप्रैल को उनकी तबीयत बिगड़ गई और कोरोना हो गया जिसके बाद ग्वालियर उपचार के लिए ले जाते समय रास्ते में उनकी मौत हो गई। इस मामले में भी घोर लापरवाही बरती गई और उनके परिवार को भी 27 सितंबर 2021 सोमवार को कोविशील्ड की दूसरी डोज लगने का मैसेज आया। ये मैसेज देख सभी दंग रह गए।
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बता दें, ऐसा ये पहला मामला नहीं है, इस प्रकार के कई मामले पूर्व में भी आ चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार अफसर तमाम प्रकार के बहाने बनाकर अपनी लापरवाही को उजागर नहीं होने दे रहे है। कोरोना महामारी में एक और देशवासी बुरी तरह टूट चुके हैं तो वही सरकारें एवं स्वास्थ्य विभाग का अमला पूरी तरह बेफिक्र हैं। कोरोना महामारी के नाम पर आम जनता को बहुत लूटा गया और अब वैक्सीनेशन के नाम पर फर्जीवाड़ा करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। ये जिम्मेदार अपनी नौकरी बचाने के चक्कर में मृत लोगों के नाम से सर्टिफिकेट जारी करने में संकोच नही कर रहे हैं। इस पहले भी कई मामले उजागर हो चुके है लेकिन संबंधित अधिकारी मौन बने हुए है।