कांग्रेस पार्टी के नेता प्रबल प्रताप मावई ने दिया पार्टी से इस्तीफा

कांग्रेस पार्टी के नेता प्रबल प्रताप मावई ने दिया पार्टी से इस्तीफा

मुरैना,संजय दीक्षित। नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस नेता प्रबल प्रताप सिंह मावई उर्फ रिंकू ने आज कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। मंगलवार को कांग्रेस ने अपनी तीसरी और 4 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। लेकिन जैसे ही प्रत्याशियों की तीसरी सूची जारी हुई वैसे ही कांग्रेस में गुटबाजी भी चरम पर पहुंच गई। राजनीतिक दलों में चर्चा है कि प्रबल प्रताप सिंह मावई मुरैना विधानसभा सीट से कांग्रेस टिकट के लिए प्रबल दावेदारों की सूची में नाम शामिल था।लेकिन सूची में प्रबल प्रताप सिंह मावई का टिकट ना होने से नाराज नेता ने इस्तीफा दे दिया है। क्योंकि पार्टी ने उनका टिकट काट कर राकेश मावई को मुरैना का प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जिससे नाराज कांग्रेस नेता ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

बता दें कि प्रबल प्रताप सिंह मावई माधवराव सिंधिया के कट्टर समर्थक और कांग्रेस के पूर्व विधायक स्वर्गीय सोबरन सिंह मावई के पुत्र हैं। इस बार फिर से प्रबल प्रताप का टिकट काटकर मुरैना विधानसभा से इनके चचेरे भाई राकेश मावई को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। अब कयास लागए जा रहे हैं कि प्रबल प्रताप सिंह मावई अन्य किसी पार्टी से चुनाव लड़ सकते है। वहीं प्रबल प्रताप सिंह मावई का कहना है कि कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद मैं बीजेपी का दामन नहीं थामुंगा और दो दिन में सारी स्थिति साफ कर दूंगा। मेरे साथ टिकट वितरण में कुछ नेताओं ने भ्रमित कर मुझे दोखा दिया है। कमलनाथ ने किसी भी सर्वे के आधार पर टिकट वितरण नहीं किया है, बल्कि मनमर्जी से टिकट का वितरण हुआ है। मुरैना विधानसभा क्षेत्र के टिकट को लेकर में अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा हूं, इसलिये मैं आज कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।