मुरैना, नितेन्द्र शर्मा। देश की पुरानी नदियों में से एक चंबल (Chambal River) अर्थात चर्मण्वती अर्थात कामधेनु मध्य प्रदेश की एक महत्वपूर्ण नदी है। यमुना की सहायक नदी चंबल ना सिर्फ मध्य प्रदेश (MP News) से लेकर उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एक लम्बे क्षेत्र में रहने वाले मनुष्यों की जीवन यापन का महत्वपूर्ण अंग है बल्कि जलीय जीव खासकर घड़ियाल, डॉल्फिन, कछुओं की भी जीवनदायिनी है। लेकिन अब इस पर रेत माफिया (Sand Mafia) की बुरी नजर है। बेख़ौफ़ रेत माफिया चंबल का सीना छलनी (illegal sand mining) कर रहा है और जिम्मेदार अधिकारी न सिर्फ आंख पर पट्टी बांधे बैठे हैं बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) के सपनों को भी चूर चूर कर रहे हैं।
चंबल का एक बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश के मुरैना (Morena News) में पड़ता है। यहीं पर अवैध रेत की मंडी लगती है जो बेख़ौफ़ होकर रेत का उत्खनन करती है। रेत माफिया सरकार और स्थानीय प्रशासन से इतना बेख़ौफ़ है कि वो दिन में भी खुलेआम अवैध उत्खनन करता है। चंबल (चंबल के भरके) कभी डाकू समस्या के लिए कुख्यात थे लेकिन अब ये रेत माफिया को लेकर कुख्यात हैं।
चंबल से अवैध रेत निकाल रहा माफिया बेख़ौफ़ के साथ साथ दबंग भी है, सरकार और प्रशासन की परवाह नहीं करने वाला रेत माफिया अपने रास्ते में आने वाली किसी भी रुकावट को बर्दाश्त नहीं करता। ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें अवैध रेत उत्खनन और परिवहन करने से रोकने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है।
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रेत माफिया पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी स्थानीय जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर है लेकिन वन विभाग के पास इसे रोकने के लिए सबसे अधिक जिम्मेदारी है मगर चंबल का सीना छलनी कर भारी मात्रा में हो रहा अवैध उत्खनन देखकर ऐसा लगता है कि वन विभाग सरकार की तरफ़ नहीं है बल्कि रेत माफियाओं के साथ है।
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यहाँ बता दें कि मुरैना में स्थित घड़ियाल सेंचुरी जो रेत माफिया पर लगाम लगाने के लिए और जलीय जीवों की सुरक्षा के लिए बनाई गई है लेकिन इसमें एक भी अधिकारी फिलहाल पदस्थ नहीं है जबकि इस सेंचुरी का दायित्व एसडीओ फॉरेस्ट का होता है अभी यहाँ एक डिप्टी रेंजर के अलावा कोई भी अधिकारी पदस्थ नहीं है। पूर्व डीएफओ अमित वसंत निगम के ट्रांसफर के बाद नए डीएफओ ने अभी तक रेत माफिया पर लगाम लगाने के बारे में कोई भी प्लान आफ एक्शन तैयार नहीं किया है। अवैध उत्खनन के चलते घड़ियाल, डॉल्फिन और कछुओं की प्रजाति के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
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बड़ी बात ये है कि रेत माफिया ने डीएफओ ऑफिस के बाहर ही अवैध रेत की मंडी लगा रखी है आप इसी बात से सोच सकते हैं कि के रेत माफिया का जवाब ना तो सरकार के पास और ना ही प्रशासन के पास है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश से माफिया राज ख़त्म करने का सपना देखा है , चाहे वो रेत माफिया हो, शराब माफिया हो, पत्थर माफिया हो या फिर कोई और माफिया, सीएम शिवराज एलान कर चुके हैं कि वे इन्हें प्रदेश में नहीं रहने देंगे लेकिन रेत माफिया के बुलंद हौसले देखकर लगता है कि सरकार के अधिकारी ही मुख्यमंत्री के सपनों को चूर चूर कर रहे हैं।