मुरैना, संजय दीक्षित। (Morena News) जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं विकास के अभाव में लड़खड़ा रही हैं। जबकि हर साल जिला चिकित्सालय में करोड़ों रूपये का बजट आता है फिर भी यहां कि स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। इतना ही नहीं जिला अस्पताल में कई वार्ड तो ऐसे हैं कि जहां टूटी पलंग, फटे गद्दे व फटी चादरें देखने को मिलती हैं। सर्दी से बचने के लिए मरीजों के ओढ़ने तक के कंबल नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि जब हर साल जिला चिकित्सालय को करोड़ों रूपये का बजट मिलता है तो फिर विकास के नाम पर यहां अंधेरा क्यों छाया है?
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जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड की स्थिति अगर देखी जाए तो इसकी एक साधारण वार्ड जैसी स्थिति बनी हुई है, यहां रखे हुए इंस्ट्रूमेंट तक गायब हो चुके हैं, जबकि मात्र आईसीयू वार्ड के लिए लाखों रूपये का बजट आता है। लेकिन ऐसी स्थिति देखते हुए यह समझ आ रहा है कि संबधित अधिकारी सारा बजट डकार जाते हैं। गरीब मरीजों को मिलने वाली सुख-सुविधाओं को जिला अस्पताल के प्रबधंन के द्वारा सांठगांठ से आईसीयू वार्ड में खर्च न करते हुए उसे अपनी जेबों में भर लिया जाता है।
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जानकारी के लिए बतादें कि जिला अस्पताल में अगर कोई जांच की टीम बाहर से निरीक्षण करने के लिए आती है तो संबंधित अधिकारी वार्डों में नए-नए इंस्ट्रूमेंट दिखाकर उनकी आंखों को चकाचैंध कर देते हैं, लेकिन उनके जाने के बाद जब उन इंस्ट्रूमेंट पर नजर डाली जाए तो एक सामान नजर नहीं आता। गरीब मरीजों को मिलने वाली सुख-सुविधाओं पर जिला अस्पताल के प्रबंधन के द्वारा रोक लगा दी गई है।
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जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड की स्थिति इतनी जर्जर बनी हुई है कि कभी भी मरीजों के ऊपर छत का प्लास्टर गिर सकता है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा होने की संभावना लगातार बनी रहती है। जो सुख सुविधाएं आईसीयू वार्ड में मरीजों को मिलनी चाहिए वह न मिलते हुए उनको ग्वालियर के लिए रेफर कर दिया जाता है। जबकि शासन द्वारा लाखों रूपए का बजट भी जिला अस्पताल के लिए आता है। ऐसे में जिला अस्पताल में मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।