MP News : पहले डीएपी अब यूरिया का संकट, केंद्रों में मारामारी, कड़ाके की ठंड में सरकारी गोदामों के बाहर लगी किसानों की लंबी कतार

किसानों का कहना है कि बोवनी के समय डीएपी खाद मुश्किल से मिली और अब यूरिया के लिए मशक्कत करना पड़ रही है।

Amit Sengar
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MP News : डीएपी की किल्लत से किसान अभी उबर नहीं पाए तब तक यूरिया खाद ने रुलाना शुरू कर दिया है। ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से आ रहा है जहाँ 15 से 20 नवंबर को बुआई गई गेहूं की फसल में पहली सिंचाई के बाद यूरिया का डोज देने की जरूरत है। लेकिन मार्क फैड से लेकर मार्केटिंग सोसाइटी के गोदामों से यूरिया के दो कट्टे पाने के लिए किसानों को कड़ाके की ठंड में परेशान होना पड़ रहा है। इधर किसानों का कहना है कि बोवनी के समय डीएपी खाद मुश्किल से मिली और अब यूरिया के लिए मशक्कत करना पड़ रही है।

जनवरी महीने में 8000 मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत है। यह डिमांड उप संचालक कृषि कार्यालय से राज्य शासन को भेजी गई है। कब यूरिया आएगी और किसानों को कब मिलेगी इसका कोई शैड्यूल घोषित नहीं है। जबकि किसान आज की तारीख में यूरिया खाद से गेहूं की 30 से 20 दिन अवधि की फसल की टॉप ड्रेसिंग करना चाहता है। और यूरिया है कि किसान को सहजता से नहीं मिल रही। यूरिया पाने के लिए किसान 25 से 30 किमी दूर गांव से सुबह 6 बजे मुरैना आकर मार्क फैड के गोदाम पर कतारबद्ध हो रहा है। कमोवेश यही स्थिति अंबाह, पोरसा, कैलारस में खाद के सरकारी गोदामों पर देखने को मिल रही है।

यूरिया खाद हो या डीएपी खाद की उपलब्धता, कृषि विभाग के प्रयास बैकफुट पर

रवी फसल के सीजन में बैकफुट पर रहें हैं। किसानों को खाद के लिए कड़ी मशक्कत करना पड़ी है। सरसों की बोवनी के समय किसानों को समय पर डीएपी खाद नहीं मिली इसके चलते 22 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बोवनी नहीं हो सकी। गेहूं की बोवनी के लिए भी किसानों को डीएपी व यूरिया खाद समय पर नहीं मिल सकी। चूंकि प्राइवेट डीलरों की दुकान पर यूरिया का कट्टा 100 रुपए महंगा मिल रहा है इसलिए किसान सरकारी गोदाम से ही यूरिया लेने पसीना बहाते हैं।

1 लाख हैक्टेयर में गेहूं की बोवनी

इस साल एक लाख हैक्टेयर क्षेत्र में किसानों ने गेहूं की बोवनी की है। 15 नवंबर से शुरू हुई गेहूं की बोवनी का दौर 25 दिसंबर तक चलता रहा। गेहूं की – बंपर पैदावार के लिए किसान फसल में पहली व दूसरी सिंचाई के बाद यूरिया खाद की छिड़काव करते हैं। इसलिए इस समय किसान की पहली जरूरत चार से पांच बोरी यूरिया खाद है।

एक किसान को दे रहे सिर्फ दो बोरी यूरिया, करना पड़ रहा दिनभर इंतजार

मार्क फैड के गोदामों में 3000 मीट्रिक टन यूरिया का स्टॉक होने के बाद भी किसानों को दो कट्टे यूरिया पांच से छह घंटे के इंतजार के बाद दी जा रही है। यूरिया पाने के लिए पुरुष किसानों के अलावा महिला किसान भी अलसुबह मुरैना आकर लाइन में लग रहे हैं।

मुरैना से नितेन्द्र शर्मा की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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