चिटफंड कंपनी से पुलिस की मिलीभगत की खबर DGP तक पहुंची, हो सकती है बड़ी कार्रवाई

Pooja Khodani
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मुरैना, संजय दीक्षित। जिले के एसपी अनुराग सुजानिया (Morena SP Anurag Sujania) और स्थानीय पुलिस की सहारा चिटफंड कंपनी (Sahara Chitfund Company) के साथ मिलीभगत के आरोपों की शिकायत मध्य प्रदेश (MP) के पुलिस महानिदेशक  विवेक जौहरी (DGP Vivek Johri) के पास पहुंची है और उन्होंने इसे गंभीरता से लिया है ।

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दरअसल सहारा के कुछ निवेश कर्ताओ ने यह शिकायत की थी कि सहारा कंपनी के स्थानीय मैनेजर के द्वारा सहारा कंपनी से पैसा वापस दिलाई जाने के लिये मुरैना के एसपी और स्थानीय पुलिस के नाम पर पैसों की जमकर वसूली की जा रही है और इस बारे में एसपी को शिकायत भी की गई है। लेकिन एसपी ने बजाए इस शिकायत पर कार्रवाई करने के यह शिकायत जांच के लिए एक डीएसपी स्तर के अधिकारी को सौंप दी।यह स्वाभाविक सी बात है कि एक डीएसपी (DSP) स्तर का अधिकारी अपने से वरिष्ठ एसपी (Senior SP) स्तर के आईपीएस अधिकारी (IPS Officer) की जांच किस तरह से करेगा ।

हैरत की बात तो यह है कि मुरैना जिले में सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ तकरीबन ढाई सौ से ज्यादा लोगों ने तीन एफ आई आर दर्ज कराई है। उसके बावजूद पुलिस ने अभी तक कंपनी के किसी अधिकारी को हिरासत में नहीं लिया है और ना ही कंपनी का ऑफिस सील किया है ।एक ऐसे समय में जब प्रदेश के मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर निर्देश दिए हैं कि कंपनी के एजेंटों के बजाय सीधे मालिक पर कार्यवाही की जाए ,मुरैना एसपी की यह निष्क्रियता उनको संदेह के घेरे में लाती है।इसके साथ साथ भिंड और शिवपुरी जिले में भी कई शिकायतों के आवेदन थानों में पड़े धूल खा रहे हैं लेकिन पुलिस कार्यवाही नहीं कर रही है।

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अब DGP  ने इस पूरे मामले पर संज्ञान लिया है और ऐसे जिलों की जानकारी मंगाई जा रही है जहां पर पुलिस मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के निर्देशों के बावजूद चिटफंड कंपनियो पर कड़ी कार्यवाही नहीं कर रही बल्कि चिटफंड कंपनियों के एजेंटों के साथ मिलकर एक नया कारोबार शुरू हो गया है जो साफ तौर पर मुख्यमंत्री की मुहिम को धक्का पहुंचा रहा है। सूत्रों की माने तो डीजीपी मामले में एक टीम का गठन कर अपने स्तर पर भी जांच करा सकते हैं और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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