यातायात और परिवहन विभाग की नाक के सामने से निकल रहे ओवरलोड वाहन, प्रशासन मूक बधिर

मुरैना, संजय दीक्षित। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को दो टूक शब्दों में कहा था कि कहीं भी किसी भी जगह कोई भी अप्रिय घटना घटित होती हैं तो उसके लिए संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को बख्शा नही जाएगा। इसके लिए सभी अधिकारी अपने अपने क्षेत्रों में लगातार भ्रमण करें और होने वाली अप्रिय घटना को रोकने के लिए हर सम्भव प्रयास करें। पिछले दिनों जहरीली शराब पीने से करीब 28 लोगों की मौत हुई थी जिसके बाद आबकारी और पुलिस महकमा दिन रात सक्रिय हो गया था। उसके बाद सीधी में एक ह्रदय विदारक घटना घटित हुई हैं।जिसमें 52 लोगों की मौत हो गयी। घटना के बाद पूरे प्रदेश में उस विभाग के आला अधिकारी सक्रिय हो गए है। अगर इतनी बड़ी घटना घटित होने से पहले अधिकारी सक्रिय हो जाते तो संभव है इतना बड़ा हादसा नही होता।

एक ऐसा ही मामला मुरैना में देखने को मिला है जहां यातायात पुलिस और परिवहन विभाग की नाक के सामने से ही कई यात्री बस ओवरलोड सवारी भरकर निकल रहे हैं लेकिन कार्यवाही के नाम पर औपचारिकता पूरी करके बैठ जाते हैं। अगर देखा जाए तो यातायात थाने के सामने और थाने के बगल से महज 500 मीटर की दूरी पर बने बस स्टैंड से ओवरलोड बसों और टैक्सियों का आवागमन होता हैं लेकिन कार्यवाही के नाम पर महकमा मूक बधिर बना हुआ है। सीधी के बडे हादसे के बाद आखिरकार अब मुरैना का क्षेत्रीय परिवहन विभाग जागा है और अवैध तरीके से चल रही बसों के खिलाफ कार्यवाही करना शुरू कर दिया है। कार्यवाही के बाबजूद भी बसों का ओवरलोड रोक पाना पुलीस और क्षेत्रीय परिवहन विभाग के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। अब देखना होगा कि क्या ओवरलोडिंग वाहनों पर विभाग लगाम लगा पायेगा की नहीं, या फिर ऐसे ही ओवरलोडिंग वाहन धड़ल्ले से सड़कों पर फर्राटे हुए मिलेंगे। इसके अलावा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में क्षमता से अधिक सवारी भरकर या बिना परमिट के टैक्सी या बसें कंडम हालत में अधिक सवारियां भरकर दौड़ रही है क्या उन पर विभाग कार्यवाही करेगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।