Cyber Crime in MP: साइबर ठग अलग-अलग तरीके से ठगी की घटनाओं को अंजाम देते हुए नजर आते हैं। एमपी में ठगी का ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। इस मामले में पीड़ित व्यक्ति ने ना तो ऑनलाइन तरीके से कोई लापरवाही की और ना ही किसी के साथ ओटीपी शेयर किया। इसके बावजूद भी व्यक्ति के बैंक खाते से 2.92 लाख रुपए गायब हो गए। व्यक्ति ने जब मामले की जांच पड़ताल की तो सामने आया कि इसमें मोबाइल कंपनी और बैंक की लापरवाही है जिसके चलते उसे नुकसान हुआ है।
अगस्त, 2018 के इस मामले में पीड़ित ने अपनी खोई हुई राशि वापस पाने के लिए भोपाल के आईटी कोर्ट में केस दर्ज करवाया। केस की जांच पड़ताल में बैंक और मोबाइल कंपनी की लापरवाही सामने आई। करीब साढ़े 4 वर्ष तक लड़ाई लड़ने के बाद पीड़ित को ब्याज समेत मोबाइल कंपनी से 3.50 लाख रुपए मिले। बैंक की ओर से भुगतान किया जाना अभी बाकी है।
जब भी कोई व्यक्ति साइबर ठगी का शिकार होता है तो यही कहा जाता है कि उसी से किसी चीज में लापरवाही हुई होगी जिसके चलते ठगी हुई है। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि किसी भी जगह चूक होने के बाद भी व्यक्ति के साथ फ्रॉड हो जाता है। ऐसे मामले में सेवा प्रदाता कंपनियों की लापरवाही का नतीजा उपभोक्ता भुगतते हैं। लेकिन इस तरह के मामले में उपभोक्ताओं को आईटी एक्ट 2000 के तहत क्षतिपूर्ति का अधिकार दिया गया है, जिसके संबंध में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है।
ये है मामला
साइबर ठगी की ये घटना इंदौर के एक व्यक्ति के साथ 11 अगस्त 2018 को हुई थी। अचानक अपनी बीएसएनएल की सिम बंद हो जाने पर जब व्यक्ति ने कस्टमर केयर से संपर्क किया तो मालूम हुआ कि सिम में खराबी आ गई है। उन्हें यह जानकारी भी दी गई कि अगले दिन उन्हें नई सिम जारी की जाएगी, लेकिन उसी दिन उज्जैन के किसी व्यक्ति को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उनकी सिम जारी कर दी गई। इधर सिम जारी होते ही बैंक ऑफ बड़ौदा से व्यक्ति के खाते से 2.92 लाख रुपए की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर कर दी गई। इस तरह से की गई इस साइबर ठगी के मामले में पीड़ित ने आईटी कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई थी।