MP Tourism : एमपी का ऐसा थाना जहां थानेदार को लगानी पड़ती है हाजिरी, ये है वजह

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MP Tourism : भारत का दिल मध्यप्रदेश घूमने के लिहाज से सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है। यहां दूर-दूर से पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। पर्यटन के लिए यहां कई सरे ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक स्थल मौजूद है। लेकिन कुछ ऐसी जगहें भी है जिनके बारे में सुन कर ही लोग हैरान रह जाते हैं।

MP Tourism : थाने में है ऐसी मजार

आज हम आपको एमपी का ऐसा थाना बताने जा रहे हैं जहां खुद की कुर्सी बचाने के लिए थानेदार को रोज हाजरी लगानी पड़ती है। अब आप ये सुन कर हैरान रह गए होंगे लेकिन ये सच बात है। क्योंकि एमपी दमोह जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर स्थित तेजगढ़ थाने में एक ऐसी मजार मौजूद है जहां सबसे पहले थानेदार को आते ही मजार में जाकर सजदा करना पड़ता है।

उसके बाद ही वह अपनी कुर्सी पर बैठ सकता है। यहां कि मान्यता काफी ज्यादा है। अगर कोई यहां हजरत बाबा मुरादशाह की मजार में हाजरी नहीं लगता है तो उसकी कुर्सी हाथ से चली जाती है। इतना ही नहीं आजतक इस थाने में कोई झूठी गवाही और शिकायत दर्ज नहीं की गई क्योंकि बाबा साहब का आशीर्वाद बना हुआ है। इसके अलावा थाने में कोई भी चप्पल जूते पहन कर नहीं आ पता है सभी को बाहर उतार कर आना पड़ता है।

इसके लिए थाने के बाहर एक बड़ा सा पर्चा लगाया गया है। जिसमें साफ और बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है कि अपने जूते चप्पल बाहर उतार कर ही अंदर आए। आपको बता दें, थाने में बनी यह मजार की देखरेख अब तक 6 पीढ़ियों के लोग कर चुके हैं। ऐसे में इसको लेकर सलीम मुल्लाजी द्वारा जानकारी दी गई है कि इस मजार का इतिहास सदियों पुराना है।

पहले यहां तेजगढ़ में राजा तेज सिंह का राज हुआ करता था जिनके कचहरी यही थी। लेकिन बाद में ब्रिटिश सरकार ने इसे थाना बना दिया था। उसके बाद से इस मजार में अब तक जितने भी थानेदार रहे। वह सब अपना सर झुका है बिना अपनी कुर्सी पर नहीं बैठते। इसके अलावा इस मजार से जुड़े कई चमत्कारी किस्से भी मशहूर है।

उन्होंने आगे बताया कि 1973 में इस गांव से दूर एक थाना बनाने के लिए जब जमीन का चयन किया गया था, तो मजार हटाने का काम शुरू हो गया था। दीवारें भी खड़ी कर दी गई थी। लेकिन रातों-रात उन दीवारों में दरार आ गई और वह धसने लग गई।

थाने में बनी मजार को लेकर देखरेख करने वाले बाबा को सपना आया था जिसमें यह कहा गया कि बाबा थाने में ही रहना चाहते हैं। इसके बाद से ही वह इस थाने में मौजूद है। जब भी कोई नया थानेदार आता है, वह कुर्सी पर बैठने से पहले बाबासाहेब की मजार पर अपनी हाजिरी देता है। उसके बाद ही कुर्सी पर बैठ पाता है।

Disclaimer : इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं। MP Breaking News इनकी पुष्टि नहीं करता है।


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Ayushi Jain

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